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भगवल्लीला

बात ७ मार्च, सन् १९९९ ई० की है। मेरे पड़ोसमें एक लड़कीकी शादी होनी थी, कई जगह लड़के देखे, मगर कहीं बात नहीं बनी। एक-दो बार लड़कीको देखकर भी लड़केवाले यह कहकर चले जाते थे कि घर जाकर जवाब देंगे। फिर एक जगहबात चलायी और लड़केवालोंसे कहा कि हम घरपर नहीं दिखायेंगे। उन्होंने कहा- ठीक है, जहाँ आपको सुविधा हो, आप वहीं दिखायें, हमें कोई एतराज नहीं है। शहरमें ही उनके एक परिचित थे, वहींपर प्रोग्राम रखा गया। लड़की साधारण रूप-रंगवाली थी, मगरअच्छी पढ़ी-लिखी थी। लड़केवालोंको लड़की पसन्द आ गयी और सभी रस्में पूरी भी हो गयीं। लेकिन एक रस्म बाकी थी- लड़केवालोंको विदा करना। पैसोंका अभाव था और रस्म भी पूरी होनी थी, भाई बालक था, माँ विधवा । लड़कीके पिताकी हृदयगति रुक जानेके कारण असमय मृत्यु हो गयी थी, लड़कीकी माँकी आँखोंमें आँसू थे। सब ओरसे अपनेको निराश मानकर वह परमात्म-प्रभुसे अपनी लाज रखनेकी गुहार कर रही थी। तभी अचानक एक गाड़ी दरवाजेपर आकर रुकी, उसमेंसे एक अतिसम्पन्न व्यक्ति उतरे, उन्हें देखकर सभी आश्चर्यचकित थे कि अरे! ये कौन आये हैं? वे सज्जन पास आये और कहने लगे-हमें भी तो बताओ कि यहाँ क्या हो रहा है अथवा केवल हमारे बारेमें ही पूछते रहोगे? इसपर उन्हें सब बातें विस्तारसे बतायी गयीं तो उन्हें समझते। देर नहीं लगी कि ये तो मेरे रिश्तेमें जो भाई लगते हैं,उन्हीं की यह बेटी है। लड़कीकी माँने उन्हें पहचान लिया और वे बोलीं- अरे ! ये तो आस्ट्रेलियावाले चाचा हैं। एक बार गये तो वापस नहीं आये। उन्हें आज अचानक आया देखकर बड़ी हैरानी हुई। तभी उन सज्जनने पाकेटसे नोटोंकी गड्डियाँ निकालीं और लड़केवालोंको सम्मानके साथ लिफाफे देकर विदा किया। फिर वे वहीं रुके रहे । ११ मार्चकी शादी तय हुई, फेरोंके समय उन्होंने कन्यादान किया। फिर बोले- अच्छा, अब हम चलते हैं, हमारी फ्लाइटका समय हो गया है। उनकी जाती हुई गाड़ी देखकर सभी यह सोच रहे थे कि ये चाचाके रूपमें पिता हैं या भगवान्; क्योंकि चाचा बीस वर्षोंमें कभी नहीं आये, न उस घटनाके बाद कभी फोन ही आया। आज उस लड़कीकी एक बेटी भी है, गाजियाबादमें अपनी गृहस्थी है। भगवान्‌की ऐसी लीलाको बारम्बार प्रणाम है।

[ श्रीमती शिक्षाजी शर्मा ]



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bhagavalleelaa

baat 7 maarch, san 1999 ee0 kee hai. mere pada़osamen ek lada़keekee shaadee honee thee, kaee jagah lada़ke dekhe, magar kaheen baat naheen banee. eka-do baar lada़keeko dekhakar bhee lada़kevaale yah kahakar chale jaate the ki ghar jaakar javaab denge. phir ek jagahabaat chalaayee aur lada़kevaalonse kaha ki ham gharapar naheen dikhaayenge. unhonne kahaa- theek hai, jahaan aapako suvidha ho, aap vaheen dikhaayen, hamen koee etaraaj naheen hai. shaharamen hee unake ek parichit the, vaheenpar prograam rakha gayaa. lada़kee saadhaaran roopa-rangavaalee thee, magaraachchhee padha़ee-likhee thee. lada़kevaalonko lada़kee pasand a gayee aur sabhee rasmen pooree bhee ho gayeen. lekin ek rasm baakee thee- lada़kevaalonko vida karanaa. paisonka abhaav tha aur rasm bhee pooree honee thee, bhaaee baalak tha, maan vidhava . lada़keeke pitaakee hridayagati ruk jaaneke kaaran asamay mrityu ho gayee thee, lada़keekee maankee aankhonmen aansoo the. sab orase apaneko niraash maanakar vah paramaatma-prabhuse apanee laaj rakhanekee guhaar kar rahee thee. tabhee achaanak ek gaada़ee daravaajepar aakar rukee, usamense ek atisampann vyakti utare, unhen dekhakar sabhee aashcharyachakit the ki are! ye kaun aaye hain? ve sajjan paas aaye aur kahane lage-hamen bhee to bataao ki yahaan kya ho raha hai athava keval hamaare baaremen hee poochhate rahoge? isapar unhen sab baaten vistaarase bataayee gayeen to unhen samajhate. der naheen lagee ki ye to mere rishtemen jo bhaaee lagate hain,unheen kee yah betee hai. lada़keekee maanne unhen pahachaan liya aur ve boleen- are ! ye to aastreliyaavaale chaacha hain. ek baar gaye to vaapas naheen aaye. unhen aaj achaanak aaya dekhakar bada़ee hairaanee huee. tabhee un sajjanane paaketase notonkee gaddiyaan nikaaleen aur lada़kevaalonko sammaanake saath liphaaphe dekar vida kiyaa. phir ve vaheen ruke rahe . 11 maarchakee shaadee tay huee, pheronke samay unhonne kanyaadaan kiyaa. phir bole- achchha, ab ham chalate hain, hamaaree phlaaitaka samay ho gaya hai. unakee jaatee huee gaada़ee dekhakar sabhee yah soch rahe the ki ye chaachaake roopamen pita hain ya bhagavaan; kyonki chaacha bees varshonmen kabhee naheen aaye, n us ghatanaake baad kabhee phon hee aayaa. aaj us lada़keekee ek betee bhee hai, gaajiyaabaadamen apanee grihasthee hai. bhagavaan‌kee aisee leelaako baarambaar pranaam hai.

[ shreematee shikshaajee sharma ]

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