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गंगाजलसे प्रेतात्माओंका उद्धार

मेरा मूल निवास स्थान मांडलगढ़ (जिला भीलवाड़ा, राजस्थान) है दुर्गपर ही हमारी हवेली थी, जो अब प्रायः खण्डहर हो गयी है। पिताजी सरकारी नौकरीमें होनेसे मांडलगढ़ छोड़ चुके थे। हमारे दादा परदादा कृषक जमींदार थे। प्रस्तुत सत्य घटना लगभग ५०-५५ वर्ष पुरानी मेरे बाल्यकालकी है।

हम सपरिवार दीपावलीपर मांडलगढ़ जाते थे। दीपावली के एक दिन पूर्व रात्रि जागरण होता था। दुर्गपर एक जलाशय बना हुआ है, जो सागरके नामसे प्रसिद्ध है। इसमें लगभग बीस हजार सीढ़ियाँ बनी होंगी। बारहों महीने वह पानीसे भरा रहता है। रात्रि जागरणमें देवी-देवताओंको स्नान कराने हेतु सागरसे शुद्ध पानी लाना पड़ता था। मैं और मेरे स्वर्गीय पिताजी पानी लानेका पात्र लेकर सागर गये। सन्ध्या समाप्त हो गयी थी। कृष्णपक्षकी रात्रि होनेसे अँधेरा हो गया था। जलाशयसे पानीका पात्र लेकर हम जब निर्जन रास्तेसे आ रहे थे तो हमें मार्गके बायीं ओर एक चट्टानके पास दो स्त्रियाँ घूंघट निकाले मिलीं। दोनों पत्थरकी मूर्तिकी तरह खड़ी थीं, मानो किसीने आसमान से उतारकर वहाँ स्थापित कर दी हों। उनकी लम्बाई औसत स्त्रियोंकी लम्बाईसे कुछ अधिक थी। हमें थोड़ा भय लगा । आसपास कोई नहीं था। चार कदम आगे चलकर जब हमने पीछे मुड़कर देखा तो दोनों गायब थीं। पिताजीनेहनुमान चालीसाकी वह चौपाई दोहराई 'भूत पिसाच निकट नहिं आवै । महाबीर जब नाम सुनावै ।। 'गायत्री मन्त्रका मन-ही-मन जप किया। तदनन्तर घर लौट आये। जब हमने इस बातका जिक्र स्वजनोंसे किया तो ज्ञात हुआ कि चट्टानके पास खदानमें कुछ वर्षों पूर्व दो महिलाएँ दबकर मर गयी थीं। उन्हींकी भटकती प्रेतात्माएँ कभी-कभी सशरीर दिखायी दे जाती हैं।

इस घटनाके पश्चात् वे स्त्रियाँ पुनः हमें स्वप्नमें दिखायी दीं और बोलीं- 'भैया, हमारा उद्धार कर दो। हम प्रेतयोनिमें दुखी हैं। गंगाजलसे चट्टानके पास छिड़कावकर हमारे उद्धारके लिये भगवान्से प्रार्थना करो।' तदनन्तर मैंने एवं अन्य परिजनोंने चट्टानके पास गंगाजलका छिड़कावकर वहाँ दीपक जलाकर उन प्रेतात्माओंके उद्धारके लिये भगवान्‌से प्रार्थना की एवं अन्य धार्मिक कृत्य किये। इस कार्यके सम्पन्न होनेके पश्चात् ये प्रेतात्माएँ पुनः मेरे स्वप्नमें दिखायी दीं और बोलीं- 'भैया, अब हमें प्रेतयोनिसे मुक्ति मिल गयी है, हमें पितृलोकमें जगह (जाजम) मिल गयी है। ईश्वर आपका भला करें।'

इस घटनासे विदित होता है कि गंगाजलका कितना महत्त्व है; यह मानव ही नहीं, परलोकगत आत्माओंको भी शान्ति प्रदान करता है।

[ डॉ० श्रीश्याममनोहरजी व्यास ]



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gangaajalase pretaatmaaonka uddhaara

mera mool nivaas sthaan maandalagadha़ (jila bheelavaaड़a, raajasthaana) hai durgapar hee hamaaree havelee thee, jo ab praayah khandahar ho gayee hai. pitaajee sarakaaree naukareemen honese maandalagadha़ chhoda़ chuke the. hamaare daada paradaada krishak jameendaar the. prastut saty ghatana lagabhag 50-55 varsh puraanee mere baalyakaalakee hai.

ham saparivaar deepaavaleepar maandalagadha़ jaate the. deepaavalee ke ek din poorv raatri jaagaran hota thaa. durgapar ek jalaashay bana hua hai, jo saagarake naamase prasiddh hai. isamen lagabhag bees hajaar seedha़iyaan banee hongee. baarahon maheene vah paaneese bhara rahata hai. raatri jaagaranamen devee-devataaonko snaan karaane hetu saagarase shuddh paanee laana pada़ta thaa. main aur mere svargeey pitaajee paanee laaneka paatr lekar saagar gaye. sandhya samaapt ho gayee thee. krishnapakshakee raatri honese andhera ho gaya thaa. jalaashayase paaneeka paatr lekar ham jab nirjan raastese a rahe the to hamen maargake baayeen or ek chattaanake paas do striyaan ghoonghat nikaale mileen. donon pattharakee moortikee tarah khada़ee theen, maano kiseene aasamaan se utaarakar vahaan sthaapit kar dee hon. unakee lambaaee ausat striyonkee lambaaeese kuchh adhik thee. hamen thoda़a bhay laga . aasapaas koee naheen thaa. chaar kadam aage chalakar jab hamane peechhe muda़kar dekha to donon gaayab theen. pitaajeenehanumaan chaaleesaakee vah chaupaaee doharaaee 'bhoot pisaach nikat nahin aavai . mahaabeer jab naam sunaavai .. 'gaayatree mantraka mana-hee-man jap kiyaa. tadanantar ghar laut aaye. jab hamane is baataka jikr svajanonse kiya to jnaat hua ki chattaanake paas khadaanamen kuchh varshon poorv do mahilaaen dabakar mar gayee theen. unheenkee bhatakatee pretaatmaaen kabhee-kabhee sashareer dikhaayee de jaatee hain.

is ghatanaake pashchaat ve striyaan punah hamen svapnamen dikhaayee deen aur boleen- 'bhaiya, hamaara uddhaar kar do. ham pretayonimen dukhee hain. gangaajalase chattaanake paas chhida़kaavakar hamaare uddhaarake liye bhagavaanse praarthana karo.' tadanantar mainne evan any parijanonne chattaanake paas gangaajalaka chhida़kaavakar vahaan deepak jalaakar un pretaatmaaonke uddhaarake liye bhagavaan‌se praarthana kee evan any dhaarmik krity kiye. is kaaryake sampann honeke pashchaat ye pretaatmaaen punah mere svapnamen dikhaayee deen aur boleen- 'bhaiya, ab hamen pretayonise mukti mil gayee hai, hamen pitrilokamen jagah (jaajama) mil gayee hai. eeshvar aapaka bhala karen.'

is ghatanaase vidit hota hai ki gangaajalaka kitana mahattv hai; yah maanav hee naheen, paralokagat aatmaaonko bhee shaanti pradaan karata hai.

[ daॉ0 shreeshyaamamanoharajee vyaas ]

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