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गंगा माँकी अद्भुत कृपा

२७ अप्रैल, सन् २००२ ई० को मैं सपरिवार ऋषिकेश गयी थी, प्रतिवर्ष मेरी सासूजी और उनके मायके तथा ससुरालका परिवार भी वहाँ आता है और सत्संग एवं गंगास्नानका आनन्द लेता है। माँ गंगामें ऐसी चुम्बकीय शक्ति है कि वे मुझे आकर्षित करती रहतीहैं और गीताभवनके घाटपर नहानेमात्रसे ही उनके प्रति असीम श्रद्धा उमड़ पड़ती है।

इस वर्ष इन्दौरमें पानीकी अत्यधिक कमी रही और इसी वजहसे हमारे घरका दस वर्ष पुराना बोरिंग बिलकुल सूख गया था । हमने ३८७ फीट गहरा नयाबोरिंग करवाया, किंतु उसमें भी दिनभरमें सिर्फ दो ड्रम पानी ही आता था।

मैंने ऋषिकेशमें गंगा माँकी भक्तिभावसे आराधना की और प्रार्थना की- 'माँ ! मेरे घर आ जाओ और सभीको तृप्त करो।' हमारे घरके बाहर गायोंको पीनेके पानीके लिये सीमेण्टकी हौद भी रखी हुई है और प्याऊ भी लगा रखा था, किंतु जब हमको ही पानीकी समस्या थी तो स्वभावतः उसमें पानी भरना भी बन्द हो गया था। प्यास बुझाये बगैर केवल हौदमें झाँककर निराश लौटते जानवरों और नल खोलनेपर पानी नहीं आनेके बाद प्याऊसे निराश होकर लौटते लोगोंको देखकर हमलोगोंका हृदय द्रवित हो जाता था, पर हमलोग मजबूर थे, क्या करते?

२ मई सन् २००२ ई० को गंगा माँकी प्रेरणासे मैंनेमनमें संकल्प किया कि गंगाजल भरकर घट (मिट्टीके मटके ) - दान करूँ। इस हेतु खाली मटके मँगवाकर शामको घाटके किनारे मन्दिरमें रख दिये और सोचा कि सुबह पूजा वगैरह करवाकर यह कार्य कर लूँगी। इसी बीच मैंने शामको अपने घर-परिवारके अन्य सदस्योंको टेलीफोन लगाया तो ज्ञात हुआ कि आज नये बोरिंगमें इतना ज्यादा पानी आया कि छतके ऊपरकी टंकी पूरी भर गयी (लगभग ३००० लीटरकी) और बगीचेमें भी खूब सिंचाई हुई। पानी लगातार आ रहा है।

भगवती गंगाकी असीम अनुकम्पा जानकर मेरा हृदय गद्गद हो गया। जब हमारे सत्-संकल्पमात्रसे माँ इतनी अनुकम्पा कर देती हैं तो कदाचित् हम सत्कार्यमें प्रवृत्त हो जायँ, संलग्न हो जायँ तो फिर माँकी विशेष कृपा होनेमें क्या सन्देह ?

[ श्रीमती मधुबालाजी मोहता ]



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ganga maankee adbhut kripaa

27 aprail, san 2002 ee0 ko main saparivaar rishikesh gayee thee, prativarsh meree saasoojee aur unake maayake tatha sasuraalaka parivaar bhee vahaan aata hai aur satsang evan gangaasnaanaka aanand leta hai. maan gangaamen aisee chumbakeey shakti hai ki ve mujhe aakarshit karatee rahateehain aur geetaabhavanake ghaatapar nahaanemaatrase hee unake prati aseem shraddha umada़ pada़tee hai.

is varsh indauramen paaneekee atyadhik kamee rahee aur isee vajahase hamaare gharaka das varsh puraana boring bilakul sookh gaya tha . hamane 387 pheet gahara nayaaboring karavaaya, kintu usamen bhee dinabharamen sirph do dram paanee hee aata thaa.

mainne rishikeshamen ganga maankee bhaktibhaavase aaraadhana kee aur praarthana kee- 'maan ! mere ghar a jaao aur sabheeko tript karo.' hamaare gharake baahar gaayonko peeneke paaneeke liye seementakee haud bhee rakhee huee hai aur pyaaoo bhee laga rakha tha, kintu jab hamako hee paaneekee samasya thee to svabhaavatah usamen paanee bharana bhee band ho gaya thaa. pyaas bujhaaye bagair keval haudamen jhaankakar niraash lautate jaanavaron aur nal kholanepar paanee naheen aaneke baad pyaaoose niraash hokar lautate logonko dekhakar hamalogonka hriday dravit ho jaata tha, par hamalog majaboor the, kya karate?

2 maee san 2002 ee0 ko ganga maankee preranaase mainnemanamen sankalp kiya ki gangaajal bharakar ghat (mitteeke matake ) - daan karoon. is hetu khaalee matake mangavaakar shaamako ghaatake kinaare mandiramen rakh diye aur socha ki subah pooja vagairah karavaakar yah kaary kar loongee. isee beech mainne shaamako apane ghara-parivaarake any sadasyonko teleephon lagaaya to jnaat hua ki aaj naye boringamen itana jyaada paanee aaya ki chhatake ooparakee tankee pooree bhar gayee (lagabhag 3000 leetarakee) aur bageechemen bhee khoob sinchaaee huee. paanee lagaataar a raha hai.

bhagavatee gangaakee aseem anukampa jaanakar mera hriday gadgad ho gayaa. jab hamaare sat-sankalpamaatrase maan itanee anukampa kar detee hain to kadaachit ham satkaaryamen pravritt ho jaayan, sanlagn ho jaayan to phir maankee vishesh kripa honemen kya sandeh ?

[ shreematee madhubaalaajee mohata ]

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