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भक्तराज गरुड़जी की मार्मिक कथा
भक्तराज गरुड़जी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तराज गरुड़जी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तराज गरुड़जी]- भक्तमाल


ये भी भगवान् के अन्य परिकरोंकी भाँति नित्यमुक्त एवं अखण्ड ज्ञानसम्पन्न माने जाते हैं। ये वेदोंके अधिष्ठातृदेवता एवं वेदात्मा कहे जाते हैं। अतएव इन्हें शास्त्रोंमें सर्वज्ञ भी कहा गया है। इनका भगवान्‌के दास, सखा, वाहन, आसन, ध्वजा, वितान एवं व्यजनके रूपमें वर्णन आता है। श्रुतिमें इन्हें 'सर्ववेदमयविग्रह' कहा गया है। * श्रीमद्भागवतमें एक जगह वर्णन आता है कि बृहद्रथ और रथन्तर नामक सामवेदके दो भेद ही इनके पंख हैं और उड़ते समय इन पंखोंसे सामगानकी ध्वनि निकलती है। ये भगवान्के नित्य संगी हैं और सदा उनकी सेवामें रत रहते हैं। इनके सम्बन्धमें यह कहा जाता है कि इनकी पीठपर भगवान्‌के चरण सदा स्थापित रहते हैं, जिससे इनके चमड़ेपर घट्ठा-सा पड़ गया है।यह परम सौभाग्य इन्हींको प्राप्त है। भगवान्‌के उच्छिष्ट प्रसादको ग्रहण करनेका अधिकार भी इन्हींको मिला हुआ है। असुरादिके साथ युद्धमें भगवान् इन्हें अपने सेनापतिका पद देकर अपना सारा भार इनपर छोड़ देते हैं; क्योंकि ये भगवान्‌के अत्यन्त विश्वासपात्र सेवक हैं। भगवान्‌के नित्य परिकर होनेपर भी इनका जन्म कश्यप और विनतासे हुआ था। अतएव ये 'वैनतेय' कहलाते हैं। भगवान्ने गीतामें इन्हें अपनी विभूति बतलाया है। ये भगवान्‌के नित्य परिकर होनेके नाते भक्तोंके सर्वस्व एवं महान् सहायक हैं। अष्टादशपुराणान्तर्गत गरुड़पुराण इन्हींके नामसे प्रसिद्ध है। भगवान्‌की कृपा एवं प्रेरणासे इन्होंने ही इस पुराणका कथन कश्यपजीके सामने किया था और उसीको फिर व्यासजीने सङ्कलन करके प्रसिद्ध किया ।



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ye bhee bhagavaan ke any parikaronkee bhaanti nityamukt evan akhand jnaanasampann maane jaate hain. ye vedonke adhishthaatridevata evan vedaatma kahe jaate hain. ataev inhen shaastronmen sarvajn bhee kaha gaya hai. inaka bhagavaan‌ke daas, sakha, vaahan, aasan, dhvaja, vitaan evan vyajanake roopamen varnan aata hai. shrutimen inhen 'sarvavedamayavigraha' kaha gaya hai. * shreemadbhaagavatamen ek jagah varnan aata hai ki brihadrath aur rathantar naamak saamavedake do bhed hee inake pankh hain aur uda़te samay in pankhonse saamagaanakee dhvani nikalatee hai. ye bhagavaanke nity sangee hain aur sada unakee sevaamen rat rahate hain. inake sambandhamen yah kaha jaata hai ki inakee peethapar bhagavaan‌ke charan sada sthaapit rahate hain, jisase inake chamada़epar ghatthaa-sa pada़ gaya hai.yah param saubhaagy inheenko praapt hai. bhagavaan‌ke uchchhisht prasaadako grahan karaneka adhikaar bhee inheenko mila hua hai. asuraadike saath yuddhamen bhagavaan inhen apane senaapatika pad dekar apana saara bhaar inapar chhoda़ dete hain; kyonki ye bhagavaan‌ke atyant vishvaasapaatr sevak hain. bhagavaan‌ke nity parikar honepar bhee inaka janm kashyap aur vinataase hua thaa. ataev ye 'vainateya' kahalaate hain. bhagavaanne geetaamen inhen apanee vibhooti batalaaya hai. ye bhagavaan‌ke nity parikar honeke naate bhaktonke sarvasv evan mahaan sahaayak hain. ashtaadashapuraanaantargat garuda़puraan inheenke naamase prasiddh hai. bhagavaan‌kee kripa evan preranaase inhonne hee is puraanaka kathan kashyapajeeke saamane kiya tha aur useeko phir vyaasajeene sankalan karake prasiddh kiya .

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