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भक्त श्रीहरि बापू की मार्मिक कथा
भक्त श्रीहरि बापू की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीहरि बापू (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीहरि बापू]- भक्तमाल


श्रीहरि बापू काठियावाड़के पञ्चाल-प्रदेशान्तर्गत चोटीला गाँवमें ये महान् भक्त हो गये हैं।

गाँवके बाहर एकान्त पहाड़ीके ऊपर एक मामूली झोंपड़ीमें आप हमेशा भगवान्‌के भजनमें मस्त रहते थे। 'श्रीहरि, श्रीहरि' यह आपका जपमन्त्र था । यही धुन अखण्ड चला करती थी। इसीसे इनका नाम 'श्रीहरि बापू' पड़ा था।

इनको अपने वाच काछके ऊपर विलक्षण विजय प्राप्त थी। स्त्री क्या है और उसका क्या भाव है, इस विषयमें उनको पतातक नहीं था। जब वे भोजनके लिये गाँवमें भिक्षा लेने जाते, तब जहाँ जो कुछ मिल जाता, सबको एकमें मिलाकर खा लेते थे।

आप रामायणके बड़े प्रेमी थे । रातके दस-बारह बजे या जब कभी प्रेम जागता, उसी समय पहाड़ीसे उतरकर आप वीरजी बाबूके यहाँ आते और वहीं रहते। संत धारशी भगतको जगाते- 'धारशी! क्यों सो गया? जाग ! प्यारे, जाग! हमको रामायण सुननेकी इच्छा हुई है, थोड़ी-सी सुना दे।' उस समय भगतजी रामायण बाँचते और श्रीहरि बापू उसे सुनते-सुनते प्रेममें उन्मत्त हो जातेऔर उनको देहका भान न रहता।

एक दिन उनकी झोंपड़ीमें आग लग गयी, तब बाहर निकले और सामने बैठकर 'श्रीहरि, श्रीहरि' करने लगे। गाँवके लोगोंको बुलानेके लिये किसीको नहीं पुकारा। जब आगकी लपट ऊपरतक दिखायी दी, तब लोग दौड़े और | झोंपड़ीकी आग बुझायी। लोगोंने पूछा—'बापू! यह क्या हो गया? आपने हमको पुकारा क्यों नहीं।' संत बोले-'भगवान् जाने क्या हुआ। भगवान्‌की मर्जी हुई और आग लगी। लगी तो फिर लगने दो। भगवान्ने लगायी तो हम बुझानेको क्यों पुकारते। जिसने लगायी, वही बुझायेगा।'

जब धीरे-धीरे वर्षा होती हो, अँधेरी रात हो, चारों ओर शान्तका साम्राज्य हो, बिलकुल एकान्त हो- ऐसे समयमें ये संत मुरली बजाते और घुंघरू पहनकर नाचते थे। बस, वह मुरलीकी मधुर सुरीली ध्वनि रातके ठंढे पहरमें सारे गाँवमें गूँज उठती और सोये आदमी जाग जाते। कहा जाता है कि उस समय भगवान् इन्हें साक्षात् दर्शन देते और ये गोपीभावसे भगवान्के सामने नाचते । लगभग सत्तर वर्षकी उम्रमें उनका शरीर भगवत् स्मरण करते हुए भगवत्स्वरूपमें लीन हो गया।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt shreehari baapoo]- Bhaktmaal


shreehari baapoo kaathiyaavaaड़ke panchaala-pradeshaantargat choteela gaanvamen ye mahaan bhakt ho gaye hain.

gaanvake baahar ekaant pahaada़eeke oopar ek maamoolee jhonpada़eemen aap hamesha bhagavaan‌ke bhajanamen mast rahate the. 'shreehari, shreehari' yah aapaka japamantr tha . yahee dhun akhand chala karatee thee. iseese inaka naam 'shreehari baapoo' pada़a thaa.

inako apane vaach kaachhake oopar vilakshan vijay praapt thee. stree kya hai aur usaka kya bhaav hai, is vishayamen unako pataatak naheen thaa. jab ve bhojanake liye gaanvamen bhiksha lene jaate, tab jahaan jo kuchh mil jaata, sabako ekamen milaakar kha lete the.

aap raamaayanake bada़e premee the . raatake dasa-baarah baje ya jab kabhee prem jaagata, usee samay pahaada़eese utarakar aap veerajee baabooke yahaan aate aur vaheen rahate. sant dhaarashee bhagatako jagaate- 'dhaarashee! kyon so gayaa? jaag ! pyaare, jaaga! hamako raamaayan sunanekee ichchha huee hai, thoda़ee-see suna de.' us samay bhagatajee raamaayan baanchate aur shreehari baapoo use sunate-sunate premamen unmatt ho jaateaur unako dehaka bhaan n rahataa.

ek din unakee jhonpada़eemen aag lag gayee, tab baahar nikale aur saamane baithakar 'shreehari, shreehari' karane lage. gaanvake logonko bulaaneke liye kiseeko naheen pukaaraa. jab aagakee lapat ooparatak dikhaayee dee, tab log dauda़e aur | jhonpada़eekee aag bujhaayee. logonne poochhaa—'baapoo! yah kya ho gayaa? aapane hamako pukaara kyon naheen.' sant bole-'bhagavaan jaane kya huaa. bhagavaan‌kee marjee huee aur aag lagee. lagee to phir lagane do. bhagavaanne lagaayee to ham bujhaaneko kyon pukaarate. jisane lagaayee, vahee bujhaayegaa.'

jab dheere-dheere varsha hotee ho, andheree raat ho, chaaron or shaantaka saamraajy ho, bilakul ekaant ho- aise samayamen ye sant muralee bajaate aur ghungharoo pahanakar naachate the. bas, vah muraleekee madhur sureelee dhvani raatake thandhe paharamen saare gaanvamen goonj uthatee aur soye aadamee jaag jaate. kaha jaata hai ki us samay bhagavaan inhen saakshaat darshan dete aur ye gopeebhaavase bhagavaanke saamane naachate . lagabhag sattar varshakee umramen unaka shareer bhagavat smaran karate hue bhagavatsvaroopamen leen ho gayaa.

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