⮪ All भक्त चरित्र

भक्त श्रीपतिजी की मार्मिक कथा
भक्त श्रीपतिजी की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त श्रीपतिजी (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त श्रीपतिजी]- भक्तमाल


भक्त श्रीपतिजी बादशाह अकबरके दरबारी कवि थे। पर वे कभी बादशाहकी प्रशंसामें कोई कविता नहीं करते थे। उनका विश्वास सर्वथा उन परम पिता परमात्मापर ही था। वे हर समय भगवान्‌की असीम कृपाका ही अनुभव किया करते थे। अतः वे सर्वथा निडर हो चुके थे।

दरबारके अन्यान्य कवि स्वार्थवश बादशाहके गुणानुवादमें ही लगे रहते थे। मानो भगवान्‌की सत्ताकोवे भूल ही गये थे। पर बादशाह गुणग्राही थे। वे कभी कभी भक्तवर श्रीपतिजीकी कवितापर प्रसन्न होकर उन्हें पुरस्कार दे दिया करते थे। इससे अन्य कविलोग श्रीपतिजीसे जलते थे तथा उन्हें नीचा दिखानेकी सोचते रहते थे।

एक बार सबने मिलकर भक्तवर श्रीपतिजीको नीचा दिखानेकी एक युक्ति सोच निकाली। बादशाह अकबरका दरबार हो रहा था । बादशाहके सामने सब कवियोंने (केवल भक्तवर श्रीपतिजीको छोड़कर) यह प्रस्ताव रखा कि आगामी दिन सब कवि नये-नये छन्द सुनायें और प्रत्येककी अन्तिम पंक्तिमें अन्तिम वाक्य रहे- 'करौ मिलि आस अकब्बर की ।' सबने स्वीकार किया। दूसरे दिन दरबारमें लोगोंकी बड़ी भीड़ थी। सभी दरबारियोंकी दृष्टि भक्तवर श्रीपतिजीपर ही थी। पर भक्तवर अपने प्रभुके आनन्दमें मग्न थे। उन्हें किसी भी बातका भय नहीं था। सदाकी भाँति वे अपने स्थानपर निश्चिन्त बैठे थे तथा निःसङ्कोच अपने प्रभुको स्मरण कर रहे थे।

सब कवियोंने बादशाहकी प्रशंसामें अपनी-अपनी कविताएँ सुनायीं। तत्पश्चात् भक्तवर श्रीपतिजीकी बारी आयी। लोगोंने सोच रखा था कि आज श्रीपतिको अपना व्रत तोड़ना ही पड़ेगा। भक्तवर श्रीपतिजी मुसकराते हुए उठे और उन्होंने निम्नलिखित स्वरचित कवित्त सुनाया अब के सुलतां फनियान समान हैं, बाँधत पाग अटब्बर की, तजि एक को दूसरे को जो भजै, कटि जीभ गिरै वा लब्बर की । सरनागत 'श्रीपति' श्रीपति की, नहिं त्रास है काहुहि जब्बर की, जिन को हरि की कछु आस नहीं, सो करौ मिलि आस अकब्बर की ॥

- इस कवित्तको सुनते ही समस्त दरबारियोंके मुख कमलकी तरह खिल उठे। षड्यन्त्रकारियोंके मुखोंपर वैसे ही रुखाई छा गयी, जैसे पानी पड़नेपर जवासेका पौधा सूख जाता है। बादशाह बहुत प्रसन्न हुए और उन्होंने भक्त श्रीपतिजीको इनाम देकर उनका सम्मान किया।



You may also like these:



bhakt shreepatijee ki marmik katha
bhakt shreepatijee ki adhbut kahani - Full Story of bhakt shreepatijee (hindi)

[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhakt shreepatijee]- Bhaktmaal


bhakt shreepatijee baadashaah akabarake darabaaree kavi the. par ve kabhee baadashaahakee prashansaamen koee kavita naheen karate the. unaka vishvaas sarvatha un param pita paramaatmaapar hee thaa. ve har samay bhagavaan‌kee aseem kripaaka hee anubhav kiya karate the. atah ve sarvatha nidar ho chuke the.

darabaarake anyaany kavi svaarthavash baadashaahake gunaanuvaadamen hee lage rahate the. maano bhagavaan‌kee sattaakove bhool hee gaye the. par baadashaah gunagraahee the. ve kabhee kabhee bhaktavar shreepatijeekee kavitaapar prasann hokar unhen puraskaar de diya karate the. isase any kavilog shreepatijeese jalate the tatha unhen neecha dikhaanekee sochate rahate the.

ek baar sabane milakar bhaktavar shreepatijeeko neecha dikhaanekee ek yukti soch nikaalee. baadashaah akabaraka darabaar ho raha tha . baadashaahake saamane sab kaviyonne (keval bhaktavar shreepatijeeko chhoda़kara) yah prastaav rakha ki aagaamee din sab kavi naye-naye chhand sunaayen aur pratyekakee antim panktimen antim vaaky rahe- 'karau mili aas akabbar kee .' sabane sveekaar kiyaa. doosare din darabaaramen logonkee bada़ee bheeda़ thee. sabhee darabaariyonkee drishti bhaktavar shreepatijeepar hee thee. par bhaktavar apane prabhuke aanandamen magn the. unhen kisee bhee baataka bhay naheen thaa. sadaakee bhaanti ve apane sthaanapar nishchint baithe the tatha nihsankoch apane prabhuko smaran kar rahe the.

sab kaviyonne baadashaahakee prashansaamen apanee-apanee kavitaaen sunaayeen. tatpashchaat bhaktavar shreepatijeekee baaree aayee. logonne soch rakha tha ki aaj shreepatiko apana vrat toda़na hee pada़egaa. bhaktavar shreepatijee musakaraate hue uthe aur unhonne nimnalikhit svarachit kavitt sunaaya ab ke sulataan phaniyaan samaan hain, baandhat paag atabbar kee, taji ek ko doosare ko jo bhajai, kati jeebh girai va labbar kee . saranaagat 'shreepati' shreepati kee, nahin traas hai kaahuhi jabbar kee, jin ko hari kee kachhu aas naheen, so karau mili aas akabbar kee ..

- is kavittako sunate hee samast darabaariyonke mukh kamalakee tarah khil uthe. shadyantrakaariyonke mukhonpar vaise hee rukhaaee chha gayee, jaise paanee paड़nepar javaaseka paudha sookh jaata hai. baadashaah bahut prasann hue aur unhonne bhakt shreepatijeeko inaam dekar unaka sammaan kiyaa.

204 Views

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
READ NOW FREE
The Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCONWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti11 Tips For Enhancing Devotional Service For Busy People



Bhajan Lyrics View All

राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥

New Bhajan Lyrics View All

मेरे सिर पर गठरी भांग की मोहे जाना
भोला बैठा बाट में...
सीता आगे धरे ना पांव मुड़ कर देख रही
मुड़ मुड़ देख रही पीछे को, मुड़मुड़
सबकी बिगड़ी को बनाए बजरंगी,
सबकी नैया पार लगाए बजरंगी,
माँ है सच्ची सरकार मेरी अम्बें रानी,
भक्तों की पालनहार मेरी अम्बें रानी,
भोला रेहंदा बड़ी दूर भोला भोला,
मेरी अखिया दा नूर भोला भोला,