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सबसे अपवित्र है क्रोध  [Wisdom Story]
आध्यात्मिक कथा - प्रेरक कहानी (प्रेरक कथा)

कहा जाता है कि भगवान् विश्वनाथकी पुरी काशीकी बात है। गङ्गास्नान करके एक संन्यासी घाटसे ऊपर जा रहे थे। भीड़ तो काशीमें रहती ही है, बचनेका प्रयत्न करते हुए भी एक चाण्डाल बच नहीं सका, उसका वस्त्र उन संन्यासीजीसे छू गया। अब तो संन्यासीको क्रोध आया। उन्होंने एक छोटा पत्थर उठाकर मारा चाण्डालको और डाँटा– 'अंधा हो गया है, देखकर नहीं चलता; अब मुझे फिर स्नान करना पड़ेगा।'चाण्डालने हाथ जोड़कर कहा- 'अपराध हो गया, क्षमा करें। रही स्नान करनेकी बात सो आप स्नान करें या न करें, मुझे तो अवश्य स्नान करना पड़ेगा।' संन्यासीने आश्चर्यसे पूछा- 'तुझे क्यों स्नान करना पड़ेगा ?'

चाण्डाल बोला-' सबसे अपवित्र महाचाण्डाल तो क्रोध है और उसने आपमें प्रवेश करके मुझे छू दिया है। मुझे पवित्र होना है उसके स्पर्शसे ।' संन्यासीजीने लज्जासे सिर नीचा कर लिया।



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sabase apavitr hai krodha

kaha jaata hai ki bhagavaan vishvanaathakee puree kaasheekee baat hai. gangaasnaan karake ek sannyaasee ghaatase oopar ja rahe the. bheeda़ to kaasheemen rahatee hee hai, bachaneka prayatn karate hue bhee ek chaandaal bach naheen saka, usaka vastr un sannyaaseejeese chhoo gayaa. ab to sannyaaseeko krodh aayaa. unhonne ek chhota patthar uthaakar maara chaandaalako aur daantaa– 'andha ho gaya hai, dekhakar naheen chalataa; ab mujhe phir snaan karana pada़egaa.'chaandaalane haath joda़kar kahaa- 'aparaadh ho gaya, kshama karen. rahee snaan karanekee baat so aap snaan karen ya n karen, mujhe to avashy snaan karana pada़egaa.' sannyaaseene aashcharyase poochhaa- 'tujhe kyon snaan karana pada़ega ?'

chaandaal bolaa-' sabase apavitr mahaachaandaal to krodh hai aur usane aapamen pravesh karake mujhe chhoo diya hai. mujhe pavitr hona hai usake sparshase .' sannyaaseejeene lajjaase sir neecha kar liyaa.

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