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सबमें भगवद्दर्शन  [Hindi Story]
Shikshaprad Kahani - Spiritual Story (Hindi Story)

नाग महाशयकी झोंपड़ी पुरानी हो चुकी थी । उसकी मरम्मत आवश्यक थी। मजदूर बुलाया गया। परंतु जब वह इनके घर पहुँचा तो नाग महाशयने उसे हाथ पकड़कर चटाईपर बैठाया। आप तम्बाकू भर लाये चिलममें उसको पीनेके लिये । वह छप्परपर चढ़ने लगा तो रोने लग गये – 'इतनी धूपमें भगवान् मेरे लिये श्रम करेंगे!'

बहुत प्रयत्न करनेपर भी मजदूर रुका नहीं, छप्परपर चढ़ गया तो आप छत्ता लेकर उसके पीछे जा खड़े हुए। उसके मस्तकपर पसीना आते ही हाथ जोड़ने लगे- 'आप थक गये हैं। अब कृपा करके नीचे चलिये। कम-से-कम तम्बाकू तो पी लीजिये।'इसका परिणाम यह हुआ था कि जब ये घरसे कहीं चले जाते थे, तब मजदूर इनके घरकी मरम्मतका काम करते थे।

'आप बैठिये! बैठिये भगवन्! आपका यह सेवक है न ? आपकी सेवा करनेके लिये।' नौकापर बैठते तो नाग महाशय मल्लाहके हाथसे डाँड़ ले लेते थे। मल्लाहोंको बड़ा संकोच होता था कि वे बैठे रहें और एक परोपकारी सत्पुरुष परिश्रम करता रहे। परंतु नाग महाशयसे यह कैसे सहा जाय कि उनकी सेवाके लिये भगवान् श्रम करें और सभी रूपोंमें भगवान् ही हैं, यह उनका विचार-विश्वास नहीं, दृढ़ निश्चय था।



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sabamen bhagavaddarshana

naag mahaashayakee jhonpada़ee puraanee ho chukee thee . usakee marammat aavashyak thee. majadoor bulaaya gayaa. parantu jab vah inake ghar pahuncha to naag mahaashayane use haath pakada़kar chataaeepar baithaayaa. aap tambaakoo bhar laaye chilamamen usako peeneke liye . vah chhapparapar chadha़ne laga to rone lag gaye – 'itanee dhoopamen bhagavaan mere liye shram karenge!'

bahut prayatn karanepar bhee majadoor ruka naheen, chhapparapar chadha़ gaya to aap chhatta lekar usake peechhe ja khada़e hue. usake mastakapar paseena aate hee haath joड़ne lage- 'aap thak gaye hain. ab kripa karake neeche chaliye. kama-se-kam tambaakoo to pee leejiye.'isaka parinaam yah hua tha ki jab ye gharase kaheen chale jaate the, tab majadoor inake gharakee marammataka kaam karate the.

'aap baithiye! baithiye bhagavan! aapaka yah sevak hai n ? aapakee seva karaneke liye.' naukaapar baithate to naag mahaashay mallaahake haathase daanड़ le lete the. mallaahonko bada़a sankoch hota tha ki ve baithe rahen aur ek paropakaaree satpurush parishram karata rahe. parantu naag mahaashayase yah kaise saha jaay ki unakee sevaake liye bhagavaan shram karen aur sabhee rooponmen bhagavaan hee hain, yah unaka vichaara-vishvaas naheen, dridha़ nishchay thaa.

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