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हरी नाम नहीं तो जीना क्या,
अमृत है हरी नाम जगत में,

हरी नाम नहीं तो जीना क्या,
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या...


काल सदा अपने रस डोले,
ना जाने कब सर चढ़ बोले,
हर का नाम जपो निसवासर,
इसमें बरस महीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या...

भूषन से सब अंग सजावे,
रसना पर हरी नाम ना लावे,
देह पड़ी रह जावे यही पर,
फिर कुंडल और नगीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या...

तीरथ है हरी नाम तुम्हारा,
फिर क्यूँ फिरता मारा मारा,
अंत समय हरी नाम ना आवे,
फिर काशी और मदीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या...

हरी नाम नहीं तो जीना क्या,
अमृत है हरी नाम जगत में,
इसे छोड़ विषय रस पीना क्या,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या...




hari naam nahi to jeena kya,
amarat hai hari naam jagat me,

hari naam nahi to jeena kya,
amarat hai hari naam jagat me,
ise chhod vishay ras peena kya,
hari naam nahi to jeena kyaa...


kaal sada apane ras dole,
na jaane kab sar chadah bole,
har ka naam japo nisavaasar,
isame baras maheena kya,
hari naam nahi to jeena kyaa...

bhooshan se sab ang sajaave,
rasana par hari naam na laave,
deh padi rah jaave yahi par,
phir kundal aur nageena kya,
hari naam nahi to jeena kyaa...

teerth hai hari naam tumhaara,
phir kyoon phirata maara maara,
ant samay hari naam na aave,
phir kaashi aur madeena kya,
hari naam nahi to jeena kyaa...

hari naam nahi to jeena kya,
amarat hai hari naam jagat me,
ise chhod vishay ras peena kya,
hari naam nahi to jeena kyaa...




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