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पता दे कोई मुझको,
मेरे प्रभु का दरबार कहां होगा,

पता दे कोई मुझको,
मेरे प्रभु का दरबार कहां होगा,
बता दे कोई मुझको,
मेरे प्रभु का दीदार कहां होगा...


मथुरा वृंदावन बद्री काशी,
ढूंढा सब में वो अविनाशी,
मिला नहीं करतार कहां होगा,
बता दे कोई मुझको...

क्यूं भटके घट घट तू प्राणी,
मन में क्यूं ना खोजे तू अज्ञानी,
झांक भीतर अपने तू,
तेरा सरदार वहां होगा,
पता दे कोई मुझको,
राजीव के प्रभु का दीदार कहां होगा...

खोज मन के भीतर तू,
उसका दीदार वहां होगा...

पता दे कोई मुझको,
मेरे प्रभु का दरबार कहां होगा,
बता दे कोई मुझको,
मेरे प्रभु का दीदार कहां होगा...




pata de koi mujhako,
mere prbhu ka darabaar kahaan hoga,

pata de koi mujhako,
mere prbhu ka darabaar kahaan hoga,
bata de koi mujhako,
mere prbhu ka deedaar kahaan hogaa...


mthura vrindaavan badri kaashi,
dhoondha sab me vo avinaashi,
mila nahi karataar kahaan hoga,
bata de koi mujhako...

kyoon bhatake ghat ghat too praani,
man me kyoon na khoje too agyaani,
jhaank bheetar apane too,
tera saradaar vahaan hoga,
pata de koi mujhako,
raajeev ke prbhu ka deedaar kahaan hogaa...

khoj man ke bheetar too,
usaka deedaar vahaan hogaa...

pata de koi mujhako,
mere prbhu ka darabaar kahaan hoga,
bata de koi mujhako,
mere prbhu ka deedaar kahaan hogaa...




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