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Nandgaon, Sirohi (28 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (27 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (31 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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Nandgaon, Sirohi (28 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (27 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (31 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (1 November 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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How To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee



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सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥

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एक बस तेरा ही सहारा,
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कइसन अशुभ अमंगल भेष बा तोहार दुलहा,
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एक बार मेरे भोले, घर मेरे चले आना,
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