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Nandgaon, Sirohi (27 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (28 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (29 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (30 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (31 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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Nandgaon, Sirohi (26 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (26 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
Nandgaon, Sirohi (27 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj
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वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
श्याम तेरी बंसी पुकारे राधा नाम
लोग करें मीरा को यूँ ही बदनाम
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है

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मेरी बरसाने कुटिया बना दे,
तू रीझ मेरी राधे,
ईक दुनी दो ते दो दुनी चार,
हर वेले वंडदी माँ बच्चियां नु प्यार,
बांके बिहारी मेरे मन ने बस गया रे,
अब तो लागे सबकुछ नया नया रे,
बड़े ही प्यारे, लगते हैं खाटूश्याम जी
इसी लिए करते हैं, तुझे प्रणाम जी
मेरा अब क्या होगा भोलेनाथ बीच बुढ़ापे
बीच बुढ़ापे में, बीच बुढ़ापे में,