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Yog Vashistha

YOG VASHISHT-Part-1 to 20 Complete BY DR. RP DHAWAN

Yoga Vasistha by Rishi Nityapragya: Part-1 (Hindi)

Yog Vashisht by Swami Shravananandji Part-1

Living with Joy Everyday- Part 3

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What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?The Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCON7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome Pain



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सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
सांवरियो है सेठ, म्हारी राधा जी सेठानी
यह तो जाने दुनिया सारी है
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,

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एक लहरीदार चुनरी, माथे पे डाल के...
भोला बन जाओ भोली, घूँघट निकाल के...
शिव शंकर भज ले मनवा, शिव शंकर,
यह जीवन, एक बंधन है, मोह ना कर,
अम्बे माँ झूले भवन में अम्बे माँ झूले
है नवरातो का दौर धरा पे छा रही है
राधे मोहे जमुना के पार मिलना,
पार मिलना मेरी सरकार मिलना,
नैया डार दे रे भरुआ दुर्गा उतरें पहले
उतरें पहले पार उतरें पहले पार,