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Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha By Shree Hita Ambrish ji in Shree Sanatan Dharam Mandir Samiti, Sector 39 Noida, on Date 25 Feb to 28 Feb 2016.

Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 1 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 2 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 3 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 4 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 5 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

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Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 2 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.
Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 3 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.
Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 4 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.
Shree Kabir Das Ji Bhaktmaal Katha Part 5 By Shri Hita Ambrish ji in Sec-39, Noida.

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तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये

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मच रहो हाहाकार आज यहा पृथ्वी पे,
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भोला बैठा बाट में...
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