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Ram katha by Kirit Bhaiji Ujjain

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 1)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 2)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 3)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 4)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 5)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 7)

Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 8)

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Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 5)
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Shri Ram Katha - Shri Kirit Bhaiji Maharaj - Ujjain (Day 8)

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मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई

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भोले जी मोहे दरस दिखा दो एक बार मैं
मैं बड़ी दूर से आई, मैं पैदल चल कर आई,
त्रिशूल धारी वो भोला भंडारी,
धरती नभ आकाश के तुम ही हो स्वामी,
रात को श्याम सपनों में आया कैसे कह दूं
आकर उसने गले से लगाया कैसे कह दूं
कमी ना तो रही जब घर तेरे आया में,
मालामाल होया जद तेरा गुण गाया में,
धन धन भोलेनाथ बांट दिए तीन लोक तूने पल
ऐसे दीनदयाल मेरे शंभू भरो खजाना पल भर