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SHRI RAJENDRADASJI MAHARAJ MUZAFFARPUR BHAGWAT KATHA

Contents of this list:

Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 03
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 02
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 01
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 04
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 05
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 07 PART 02
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 07 PART 01
Shrimad Bhagwat Katha by Shri Rajendra Das Ji Maharaj (Muzaffarpur) Day 06

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ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
आँखों को इंतज़ार है सरकार आपका
ना जाने होगा कब हमें दीदार आपका
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
बहुत बड़ा दरबार तेरो बहुत बड़ा दरबार,
चाकर रखलो राधा रानी तेरा बहुत बड़ा
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,

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मेरा कोई ना सहारा बिन तेरे,
घनश्याम सांवरिया मेरे...
हिमाचल सुरिस्वर की महिमा, जग में बड़ी
नाकोंडा के तीर्थो उधारक, जिनशासन की
तूँ है बाबा मेरा, मैं हूँ सेवक तेरा
मेरी विगड़ी, बनाना तेरा काम है
जीवन भर गुणगान दीवाने गाऐंगे,
हम हर ग्यारस को श्याम की ज्योत
दीनो का पालनहारा,
दुखियों का एक सहारा,