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Gargsahinta Katha By Shri Rajendra Das Ji Maharaj inOctober 2014 at Nandgaon, Sirohi

Nandgaon, Sirohi (28 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (29 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (30 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

Nandgaon, Sirohi (31 October 2014) | Gargsahinta Katha | Shri Rajendra Das Ji Maharaj

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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?How To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of Bhakti7 Amazing Ways In Which Devotees Easily Overcome Pain



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जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
मैं तो तुम संग होरी खेलूंगी, मैं तो तुम
वा वा रे रासिया, वा वा रे छैला
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
राधा कट दी है गलिआं दे मोड़ आज मेरे
श्याम ने आना घनश्याम ने आना
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी

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जिनकी चौखट पे झुकता ये संसार है,
वो केडसती मेरी मैय्या लखदातार है,
हे काली माई तोरी आरती उतार लेउ माँ,
आरती उतार लेउ माँ मात मोरी आरती उतार
मैनु आनंदपुर जाना है जरूर मेरे मालका,
तेरा दर्शन पाना है जरुर मेरे मालका॥
हरी बोल हरी बोल हरी हरी बोल,
साँझ सवेरे हरी हरी बोल,
ओ राधा रानी कृपा कीजिये,
आँचल मे छुपा लीजिये ...