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Pundarik Goswami

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ 1999 MUMBAI (WHEN HE WAS 11 YEAR OLD)

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ 1999 MUMBAI (WHEN HE WAS 11 YEAR OLD)

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI PRAVACHAN ON RAAS LEELA PART 2

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H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ 1999 MUMBAI (WHEN HE WAS 11 YEAR OLD)
H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ 1999 MUMBAI (WHEN HE WAS 11 YEAR OLD)
Shrimad Bhagvat Katha - 1 (by Ramesbhai Oza in Gujarati)
H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI PRAVACHAN ON RAAS LEELA PART 2

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मेरा आपकी कृपा से,
सब काम हो रहा है
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार

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धुन ये दिल तो पागल है
कर सेवा गुरु चरणन की, युक्ति यही है
मालिन कर रही रस्ता साफ़ आज मेरे मैया
साथ में लांगुर लावेगी साथ में भैरव
वस गई जम्मुआ दीया धारा ओ मातारानी
मनदा जगत जो सारा ओ मातारानी मेरी,
जहां सारा तुझसे मुरादे है पाता हे
तेरे पास सबके नसीबो का खाता हे शिरडी