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Shrimad Bhagwat Katha By Shri Krishna Chandra Shastri Ji in April 2015 at Hoshiarpur,Punjab

Hoshiarpur (Punjab) April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 20 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 21 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 22 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 23 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 24 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

Hoshiarpur (Punjab) 25 April 2015 | Shrimad Bhagwat Katha | Shri Krishna Chandra Shastri Ji

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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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84 Beautiful Names Of Lord Shri Krishna (with Meaning) – Reading Them Fills The Heart With Love9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav Devotee8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?What Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?



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मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
राधे राधे बोल, राधे राधे बोल,
बरसाने मे दोल, के मुख से राधे राधे बोल,
जीवन खतम हुआ तो जीने का ढंग आया
जब शमा बुझ गयी तो महफ़िल में रंग आया
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,

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मेरे मन में पारसनाथ,
तेरे मन में पारसनाथ,
मेरी शेरावाली मां बुढ़ापा मुझे मत
बुढ़ापा मुझे मत देना, बुढ़ापा मुझे मत
पांच सदी के इन्तजार को मिल कर हमे
जहां जगत में राम पधारे उसी अयोध्या
भोले मेरी नैया को भव पार लगा देना,
अब तक तो निभाया है, आगे भी निभा देना॥
जब भी मुझको याद करोगे,
जब भी मुझको याद करोगे मैं आऊंगा,