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रामरक्षास्तोत्रका प्रभाव

१४ जुलाई ७७ की बात है, मैं ८:३० बजेकी बससे भालागढ़से अपने प्रसाराधिकारी कार्यालय बरोटोकला कला-औद्योगिक क्षेत्र जा रहा था। तेज बरसात हो रही थी, जिससे मार्गमें पड़नेवाले खड़ों में पहाड़से पानी भरना शुरू हो गया था। बस, दो ख पारकर १० किलोमीटरपर रत्ता नामके खड्डूमें ज्यों ही पहुंची कि पहाड़से आनेवाले पानीका वेग तीव्र हो गया। बस रुक गयी, पर पानीका वेग और बढ़ाव इतना बढ़ा कि बसमें पानी भरने लग गया। बसकी सीटें बाहर पानीमें बहने लगीं। बसमें हम कुल १७ यात्री थे, जिनमें एक वृद्धा महिला भी थीं। हम सभी जलसमाधिमें निमग्न हो जानेकी आशंकासे मृत्युका दृश्य देख रहे थे और हृदय थर-थर काँप रहा था । कोई उपाय नहीं सूझ रहा था निदान 'हारेको हरिनाम' याद आया। सबने रामनामका अवलम्बनलिया और रक्षाके लिये आर्त पुकार की। मैं प्रतिदिन 'रामरक्षास्तोत्र'का नियमित पाठ किया करता हूँ । अतः बसमें घुसे जलसे विनियोगकर उसका पाठ करने लगा। तबतक बसमें ही छातीभर पानी भर गया। सब यात्री ड्राइवरकी खिड़कीकी राहसे बसकी छतपर चढ़ गये। किंतु पानी बढ़ता ही जा रहा था और मूसलाधार वर्षाकी गतिमें मन्दता नहीं आ रही थी। हम सभी जीवनसे निराश हो चले थे, पर हरिकीर्तन चल रहा था। महात्मा तुलसीदासजीने बहुत ठीक कहा है

'आरतपाल कृपालु जो रामु जेहीं सुमिरे तेहि को तहँ ठाढ़े।'

(कवितावली ७। १२७)

अचानक पी0डब्ल्यू0डी० की सिंचाई शाखाका एक ट्रक और एक अन्य ट्रक वहाँ थोड़ी दूरपर आकर रुक गया। उसपर बैठे आदमियोंने रस्से जोड़कर हमारी ओर फेंकना शुरू किया। किसी प्रकार छतपर रस्सापकड़ा गया और वहीं बाँधकर एक-एक कर सभी यात्री १५ फीट गहरे और ५० मीटर लम्बे जलप्रवाहकी वेगवती धाराको पार करते उस पार पहुँचे और राहतकी साँस ली। मैं स्वयं न तो तैरना जानता हूँ और न पानीमें चलनेका अभ्यासी ही हूँ। परंतु मैंने ज्यों ही पानीमें छलाँग लगाकर आगे बढ़नेको पैर बढ़ाया, त्यों ही मेरी आँखें बन्द हो गयीं और स्वप्नवत् लगा कि किसी अदृश्य शक्तिने पार पहुँचा दिया है। मैं थोड़ी देर बाद होश में आया। जब एक वृद्ध महिला और ड्राइवर आने लगे तो रस्सा टूट गया। पर भगवान्‌की महिमा! वे दोनोंभी किसी प्रकार बचा लिये गये। फिर दो फर्लांगकी दूरी पर स्थित आयुर्वेदिक चिकित्सालय में वैद्य श्रीकलिराम शर्माने समुचित उपचारकी व्यवस्थाकर उन्हें स्वास्थ्य लाभ कराया। सभी यात्रियोंके पार हो जानेपर बस पानीमें बहती हुई अदृश्य हो गयी। हम सभी यमलोक जानेसे बच गये। भगवान्‌को कृपाका वर्णन कौन कर सकता है! रामरक्षास्तोत्र और भगवान्‌के नाम संकीर्तनके प्रभावसे हम सब उस दिन भगवत्कृपा प्राप्तकर मृत्युके मुखमें जानेसे बच गये।

[ श्रीव्रजभूषणलालजी शर्मा ]



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raamarakshaastotraka prabhaava

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'aaratapaal kripaalu jo raamu jeheen sumire tehi ko tahan thaadha़e.'

(kavitaavalee 7. 127)

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[ shreevrajabhooshanalaalajee sharma ]

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