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माँ नर्मदाकी कृपासे रोगमुक्ति

पतितपावनी पुण्यसलिला माँ नर्मदाकी महिमा अनन्त है। वे अपने शरणागतको कभी निराश नहीं करतीं। पवित्र और मृदु जलकी स्वामिनी माँ नर्मदाके अद्भुत चमत्कारों और असीम कृपाका अनुभव उनके भक्तोंको सदैव होता रहता है। इसी तरहकी एक प्रत्यक्ष घटना यहाँ प्रस्तुत है

फरवरी २००७ ई० की बात है। मेरे पड़ोसमें लगभग १२-१३ वर्षकी एक लड़की रोशनी रहती है। जिसका बचपन संघर्षमय परिस्थितियोंमें बीत रहा है। उसकी माँ एक पुत्र और एक पुत्रीको छोड़कर अन्यत्र चली गयी। उसके पिताने दूसरा विवाह कर लिया। माँके स्नेहसे वंचित रोशनीके चेहरे एवं सिरके ऊपर अचानक बड़े-बड़े सफेद दाग निकल आये, जिसे देखकर सभीको उसपर दया आती थी और सभी उसके परिवारवालों से इलाजके लिये कहते थे, किंतु आर्थिक विपन्नता और लापरवाहीके कारण किसीने उसका इलाज न कराया। बड़ी तेजीसे उसके दाग फैलने लगे। लोग तरह-तरहकी बातें कहते थे।

इस लड़कीके घरके सामने एक औरत रहती है, जिसे पाँच लड़कियाँ हैं। वह स्वयं एक विधवा मजदूरिनी है, उसे रोशनीपर बड़ी दया आयी। वह अनपढ़ और गरीब विधवा रोशनीको साथ लेकर माँ नर्मदाके समीपमें गयी, जो शहरसे लगभग आठ-नौ किलोमीटर की दूरीपर है, जहाँ हजारों श्रद्धालु माँकी महिमाका गुणगान करते हुए स्नान करते हैं। वह औरत रोशनीको लेकर जगज्जननी माँ नर्मदाजीके तटपर पदयात्राकरपहुँची और उसने माँकी पवित्र मिट्टी लड़कीके सिर तथा मुँहपर लगाकर उसे स्नान कराया तथा हाथ जोड़कर माँसे प्रार्थना की

' हे जगन्माता ! हम अज्ञानी किसी विधि-विधानसे तेरा पूजन करना नहीं जानते। बस, प्रेम और विश्वाससे तुझे भजते हैं। अब तू ही इस लड़कीको रोगमुक्त कर, माँ! हम तेरी शरणमें हैं।'

इसके कुछ दिनों पश्चात् ही माँ नर्मदाकी कृपासे रोशनीका रोग बिना किसी दवाके ठीक हो गया। मेरे पिताजीने रोशनीको जब बिलकुल ठीक अवस्थामें देखा तो उनके आश्चर्यका ठिकाना न रहा और उन्होंने उत्सुकतावश उससे बीमारी ठीक होनेका कारण पूछा। सारी बातका पता चलनेपर मैं भी इस चमत्कारको सुनकर हतप्रभ रह गयी। हमारा सिर माँ नर्मदाके प्रति नत हो गया। इसके बाद हम भी उस विधवा औरत एवं रोशनी तथा अन्य महिलाओंको लेकर पदयात्रा करते हुए माँके तटपर गये और अपने इच्छानुसार उनका पूजनकर प्रसाद चढ़ाया। इससे हमें बड़ी शान्ति मिली।

इस संसारमें जन्म देनेवाली माँ सन्तानके प्रति अपने कर्तव्योंको भले ही विस्मृत कर दे, परंतु इस भवसागरसे पार लगानेवाली माँ नर्मदा बच्चोंके प्रति अपने कर्तव्योंको कभी नहीं भूल सकती। इसी श्रद्धा और विश्वासके साथ माँके तटपर अनेक तपस्वी, मनीषी उनका गुणगान करते हैं एवं हजारों-लाखों श्रद्धालु माँ नर्मदाकी परिक्रमा करते हैं और यथेष्ट फल प्राप्त करते हैं।

[ कु० रिंकूजी चौरसिया ]



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maan narmadaakee kripaase rogamukti

patitapaavanee punyasalila maan narmadaakee mahima anant hai. ve apane sharanaagatako kabhee niraash naheen karateen. pavitr aur mridu jalakee svaaminee maan narmadaake adbhut chamatkaaron aur aseem kripaaka anubhav unake bhaktonko sadaiv hota rahata hai. isee tarahakee ek pratyaksh ghatana yahaan prastut hai

pharavaree 2007 ee0 kee baat hai. mere pada़osamen lagabhag 12-13 varshakee ek lada़kee roshanee rahatee hai. jisaka bachapan sangharshamay paristhitiyonmen beet raha hai. usakee maan ek putr aur ek putreeko chhoda़kar anyatr chalee gayee. usake pitaane doosara vivaah kar liyaa. maanke snehase vanchit roshaneeke chehare evan sirake oopar achaanak bada़e-bada़e saphed daag nikal aaye, jise dekhakar sabheeko usapar daya aatee thee aur sabhee usake parivaaravaalon se ilaajake liye kahate the, kintu aarthik vipannata aur laaparavaaheeke kaaran kiseene usaka ilaaj n karaayaa. bada़ee tejeese usake daag phailane lage. log taraha-tarahakee baaten kahate the.

is lada़keeke gharake saamane ek aurat rahatee hai, jise paanch lada़kiyaan hain. vah svayan ek vidhava majadoorinee hai, use roshaneepar bada़ee daya aayee. vah anapadha़ aur gareeb vidhava roshaneeko saath lekar maan narmadaake sameepamen gayee, jo shaharase lagabhag aatha-nau kilomeetar kee dooreepar hai, jahaan hajaaron shraddhaalu maankee mahimaaka gunagaan karate hue snaan karate hain. vah aurat roshaneeko lekar jagajjananee maan narmadaajeeke tatapar padayaatraakarapahunchee aur usane maankee pavitr mittee lada़keeke sir tatha munhapar lagaakar use snaan karaaya tatha haath joda़kar maanse praarthana kee

' he jaganmaata ! ham ajnaanee kisee vidhi-vidhaanase tera poojan karana naheen jaanate. bas, prem aur vishvaasase tujhe bhajate hain. ab too hee is lada़keeko rogamukt kar, maan! ham teree sharanamen hain.'

isake kuchh dinon pashchaat hee maan narmadaakee kripaase roshaneeka rog bina kisee davaake theek ho gayaa. mere pitaajeene roshaneeko jab bilakul theek avasthaamen dekha to unake aashcharyaka thikaana n raha aur unhonne utsukataavash usase beemaaree theek honeka kaaran poochhaa. saaree baataka pata chalanepar main bhee is chamatkaarako sunakar hataprabh rah gayee. hamaara sir maan narmadaake prati nat ho gayaa. isake baad ham bhee us vidhava aurat evan roshanee tatha any mahilaaonko lekar padayaatra karate hue maanke tatapar gaye aur apane ichchhaanusaar unaka poojanakar prasaad chadha़aayaa. isase hamen bada़ee shaanti milee.

is sansaaramen janm denevaalee maan santaanake prati apane kartavyonko bhale hee vismrit kar de, parantu is bhavasaagarase paar lagaanevaalee maan narmada bachchonke prati apane kartavyonko kabhee naheen bhool sakatee. isee shraddha aur vishvaasake saath maanke tatapar anek tapasvee, maneeshee unaka gunagaan karate hain evan hajaaron-laakhon shraddhaalu maan narmadaakee parikrama karate hain aur yathesht phal praapt karate hain.

[ ku0 rinkoojee chaurasiya ]

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