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भगवान् महामृत्युंजयकी महती कृपा

२६ जून १९६७ को प्रातःकाल जैसे ही मैं आराधनासे निवृत्त होकर बाहर निकला, मेरे गाँवसे आये हुए एक संदेशवाहकने मेरे लड़के रमेशकुमारको बीमारीका समाचार सुनाया। मैं वैद्यको साथ लेकर गाँवकी ओर चल दिया। गाँव पहुँचकर देखा तो लड़केकी दशा बड़ी ही चिन्ताजनक थी। वैद्यजीने प्रारम्भिक उपचार किया, पर दशा सुधरने के स्थानपर और भी अधिक खराब होती गयी। शामको डाक्टर बुलवाये गये डॉक्टरने भी सूइयाँ लगाय और दवा दी। रातको बारह बजे जब मैंने लड़केकी नाड़ी देखी तो मैं उसके जीवनसे एकदम निराश हो गया। डॉक्टरको पुनः लानेकी व्यवस्था कर मैं मन-ही-मन भगवान् महामृत्युंजयके मन्त्रका जप तथा उनसे करुण प्रार्थना करने लगा।

भगवान् महामृत्युंजयकी आराधनाका मेरा सैंतीस वर्ष चल रहा है। जब कभी मैं ऐसी विपत्तियोंसे घिरा है कि जिनके निराकरणमें मानवीय शक्ति असफल हो गयी है, मैंने भगवान् महामृत्युंजयका ही आश्रय लिया है और उसमें मुझे इसी प्रकारका अनुभव हुआ है जैसे कि डूबते हुएको अथाह सागरसे किसीने एकाएक हाथ पकड़कर किनारे लगा दिया हो। इन समस्त घटनाओंका संकलन मैंने अपने संस्मरणमें किया है। इस बार भी जैसे ही मैं भगवान् महामृत्युंजयसे करुण प्रार्थना कर रहा था,अन्तर्ध्वनि हुई कि 'बच्चा स्वस्थ है।' ध्यान भंग हुआ। जाकर देखा लड़केकी नाड़ी ठीक स्थानमें थी। चेतना लौट आयी थी। मैंने मन-ही-मन भगवान् महामृत्युंजयको नमन किया।

अपने स्वार्थके लिये भगवान्‌को बराबर दुखाते रहनेकी घटनाओंका क्रम मस्तिष्कमें उमड़ आया; पर क्या किया जाय ? जहाँपर मानवीय शक्ति असफल हो जाती है, वहींपर तो भगवान्‌की संकल्पना सार्थक होती है और भगवान्‌के समक्ष मानवका अन्तर्नाद कभी असफल नहीं होता। ऐसा मेरा अनुभव है।

घंटेभर बाद जैसे ही डॉक्टर आये, उन्होंने रोगीकी परीक्षा की और बताया कि 'रोगी तो स्वस्थ है। पन्द्रह दिनोंके लंघनके कारण कमजोरी है। कल यानी (दूसरे दिन) रोगीको पथ्य दे दिया जाय।' मैंने डॉक्टरको बताया कि 'जिस समय उन्हें लेनेके लिये हमने आदमी भेजा था, उस समय रोगी महाप्रस्थानकी अवस्थामें था और घरके सभी आत्मीय रोने-पीटनेमें लगे थे; किंतु मेरी करुण प्रार्थनापर मेरे सबसे महान् डॉक्टर (भगवान् महामृत्युंजय) ने आकर रोगीको स्वस्थ कर दिया है। डॉक्टरको इससे महान् आश्चर्य हुआ अन्तिम समयकी प्रतीक्षामें घरमें दूर-दूरसे जमा हुए सभी लोगोंका मन भगवान् महामृत्युंजयकी महती कृपा देखकर गद्गद हो उठा।'
[ गुरु श्रीरामप्यारेजी अग्निहोत्री ]



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bhagavaan mahaamrityunjayakee mahatee kripaa

26 joon 1967 ko praatahkaal jaise hee main aaraadhanaase nivritt hokar baahar nikala, mere gaanvase aaye hue ek sandeshavaahakane mere lada़ke rameshakumaarako beemaareeka samaachaar sunaayaa. main vaidyako saath lekar gaanvakee or chal diyaa. gaanv pahunchakar dekha to lada़kekee dasha bada़ee hee chintaajanak thee. vaidyajeene praarambhik upachaar kiya, par dasha sudharane ke sthaanapar aur bhee adhik kharaab hotee gayee. shaamako daaktar bulavaaye gaye daॉktarane bhee sooiyaan lagaay aur dava dee. raatako baarah baje jab mainne lada़kekee naada़ee dekhee to main usake jeevanase ekadam niraash ho gayaa. daॉktarako punah laanekee vyavastha kar main mana-hee-man bhagavaan mahaamrityunjayake mantraka jap tatha unase karun praarthana karane lagaa.

bhagavaan mahaamrityunjayakee aaraadhanaaka mera saintees varsh chal raha hai. jab kabhee main aisee vipattiyonse ghira hai ki jinake niraakaranamen maanaveey shakti asaphal ho gayee hai, mainne bhagavaan mahaamrityunjayaka hee aashray liya hai aur usamen mujhe isee prakaaraka anubhav hua hai jaise ki doobate hueko athaah saagarase kiseene ekaaek haath pakada़kar kinaare laga diya ho. in samast ghatanaaonka sankalan mainne apane sansmaranamen kiya hai. is baar bhee jaise hee main bhagavaan mahaamrityunjayase karun praarthana kar raha tha,antardhvani huee ki 'bachcha svasth hai.' dhyaan bhang huaa. jaakar dekha lada़kekee naada़ee theek sthaanamen thee. chetana laut aayee thee. mainne mana-hee-man bhagavaan mahaamrityunjayako naman kiyaa.

apane svaarthake liye bhagavaan‌ko baraabar dukhaate rahanekee ghatanaaonka kram mastishkamen umada़ aayaa; par kya kiya jaay ? jahaanpar maanaveey shakti asaphal ho jaatee hai, vaheenpar to bhagavaan‌kee sankalpana saarthak hotee hai aur bhagavaan‌ke samaksh maanavaka antarnaad kabhee asaphal naheen hotaa. aisa mera anubhav hai.

ghantebhar baad jaise hee daॉktar aaye, unhonne rogeekee pareeksha kee aur bataaya ki 'rogee to svasth hai. pandrah dinonke langhanake kaaran kamajoree hai. kal yaanee (doosare dina) rogeeko pathy de diya jaaya.' mainne daॉktarako bataaya ki 'jis samay unhen leneke liye hamane aadamee bheja tha, us samay rogee mahaaprasthaanakee avasthaamen tha aur gharake sabhee aatmeey rone-peetanemen lage the; kintu meree karun praarthanaapar mere sabase mahaan daॉktar (bhagavaan mahaamrityunjaya) ne aakar rogeeko svasth kar diya hai. daॉktarako isase mahaan aashchary hua antim samayakee prateekshaamen gharamen doora-doorase jama hue sabhee logonka man bhagavaan mahaamrityunjayakee mahatee kripa dekhakar gadgad ho uthaa.'
[ guru shreeraamapyaarejee agnihotree ]

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