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एक गोसेवककी आश्चर्यजनक मृत्यु

सन् १९३० ई० के आस-पासकी बात है। वर्तमान पाकिस्तानके भावलपुर रियासतके पास एक गाँव था। डूंगा दूंगा। इसमें हेमू बिश्नोई नामका एक आदमी रहता था। वह मूलतः उस समयके संयुक्त पंजाबके हिसार जिलेके एक गाँवका रहनेवाला था और यहाँ अपनी बहनकी ससुरालमें रहता था। बहुत प्रयत्न करनेपर भी उसने शादीके लिये हाँ नहीं भरी और वह अपनी बहनकी गायकी देखभाल करने लगा। सुबह जल्दी उठकर वह बैलोंको चारा डालता और फिर सभी गायोंको चारा डालकर उनका दूध निकालता । उसे गायोंकी सेवामें बहुत आनन्द आता। जब कभी उसे घरमें दूसरे पशु भैंस घोड़ी आदिको चारा डालनेको कहते तो वह तुरंत ही जवाब देता कि इनको चारा आप ही डालें, मैं तो गायोंकी ही सेवा करूंगा। वह अनपढ़ होनेके कारण न तो कोई शास्त्र पढ़ना जानता था, न उसे कभी नित्यादिक कर्मके लिये ही समय मिल पाता था।

समय बदला और हेमू बिश्नोईकी उम्र ६० वर्षकीहो गयी। एक दिन उसने अपनी बहनके बेटेसे कहा कि नाईको बुलवा दो। मैं अपने बाल कटवा लूँक्योंकि कल एकादशी है और अब में इस संसारसे कल विदा लूँगा। दिनमें ठीक ११.३० बजे प्राण त्यागूँगा, गर्मीकी वजहसे दोपहरमें तुम्हें अन्तिम क्रियाके समय कष्ट तो होगा, पर मुझे क्षमा करना। उसकी बहनके बेटेने कहा-'मामाजी ! यह आप क्या बोल रहे हैं, अभी तो आप बिलकुल स्वस्थ हैं। आपको ऐसी अशुभ बातें नहीं करनी चाहिये।' इसपर हेमू बोला- 'नहीं बेटा! अब मैं नहीं रुक सकता और हाँ, मेरी मृत्युके चार दिन बाद पूर्णिमाके दिन बहुत जोरकी बरसात आयेगी। गाँवके सभी तालाब पानीसे भर जायेंगे। खेतों में घास भी खूब होगी, गायोंको आनन्द हो जायगा और जिस दिन बरसात होगी, उसी दिन शामको गाँवके तालाबके पास जो कुँआ है, वहाँ एक ज्योति प्रकट होगी। उस ज्योतिको देखकर समझ लेना कि तुम्हारा मामा सोधा गोलोक में गया है।

ये सभी बातें सत्य निकलीं, गाँववालोंने इन | आश्चर्यजनक घटनाओंको प्रत्यक्ष देखा। उस गोसेवक हेमू बिश्नोईके जीवनके चमत्कारकी चर्चा आज भी लोग करते हैं।

[ श्रीविनोद जम्भदासजी बिश्नोई ]



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ek gosevakakee aashcharyajanak mrityu

san 1930 ee0 ke aasa-paasakee baat hai. vartamaan paakistaanake bhaavalapur riyaasatake paas ek gaanv thaa. doonga doongaa. isamen hemoo bishnoee naamaka ek aadamee rahata thaa. vah moolatah us samayake sanyukt panjaabake hisaar jileke ek gaanvaka rahanevaala tha aur yahaan apanee bahanakee sasuraalamen rahata thaa. bahut prayatn karanepar bhee usane shaadeeke liye haan naheen bharee aur vah apanee bahanakee gaayakee dekhabhaal karane lagaa. subah jaldee uthakar vah bailonko chaara daalata aur phir sabhee gaayonko chaara daalakar unaka doodh nikaalata . use gaayonkee sevaamen bahut aanand aataa. jab kabhee use gharamen doosare pashu bhains ghoda़ee aadiko chaara daalaneko kahate to vah turant hee javaab deta ki inako chaara aap hee daalen, main to gaayonkee hee seva karoongaa. vah anapadha़ honeke kaaran n to koee shaastr padha़na jaanata tha, n use kabhee nityaadik karmake liye hee samay mil paata thaa.

samay badala aur hemoo bishnoeekee umr 60 varshakeeho gayee. ek din usane apanee bahanake betese kaha ki naaeeko bulava do. main apane baal katava loonkyonki kal ekaadashee hai aur ab men is sansaarase kal vida loongaa. dinamen theek 11.30 baje praan tyaagoonga, garmeekee vajahase dopaharamen tumhen antim kriyaake samay kasht to hoga, par mujhe kshama karanaa. usakee bahanake betene kahaa-'maamaajee ! yah aap kya bol rahe hain, abhee to aap bilakul svasth hain. aapako aisee ashubh baaten naheen karanee chaahiye.' isapar hemoo bolaa- 'naheen betaa! ab main naheen ruk sakata aur haan, meree mrityuke chaar din baad poornimaake din bahut jorakee barasaat aayegee. gaanvake sabhee taalaab paaneese bhar jaayenge. kheton men ghaas bhee khoob hogee, gaayonko aanand ho jaayaga aur jis din barasaat hogee, usee din shaamako gaanvake taalaabake paas jo kuna hai, vahaan ek jyoti prakat hogee. us jyotiko dekhakar samajh lena ki tumhaara maama sodha golok men gaya hai.

ye sabhee baaten saty nikaleen, gaanvavaalonne in | aashcharyajanak ghatanaaonko pratyaksh dekhaa. us gosevak hemoo bishnoeeke jeevanake chamatkaarakee charcha aaj bhee log karate hain.

[ shreevinod jambhadaasajee bishnoee ]

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