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ऊपर लानेवाला कौन था

जिस समय मनुष्य अन्तरात्मासे प्रभुको पुकारता है, तब वे उसकी पुकार अवश्य सुनते हैं। वे उसकी रक्षा करनेको विवश हो जाते हैं। जिस समय हमारे चारों ओर विपत्तिके बादल मँडराने लगते हैं, अन्धकार छा जाता है, पथ दिखानेवाला कोई नहीं रहता, तो हम व्याकुल होकर प्रभुको याद करते हैं।

घटना दिनांक २६ मई, १९८४ ई० की है। कुछ यात्रियोंने बसद्वारा बदरीनाथकी यात्राके लिये प्रस्थान किया। उन यात्रियोंके साथ एक महात्मा स्वामी धीरेन्द्रजी भी जा रहे थे। उन्होंने स्वभावतः भजन सत्संग और हनुमान चालीसाके पाठ आदिमें ही बसमें अपना समय बिताया। बस श्रीनगर, गढ़वालसे १७ कि०मी० दूर कलियासौर जब पहुँची, तब महात्माजी यह दोहा बोल रहे थे

जो न तरै भव सागर नर समाज अस पाइ

सो कृत निंदक मंदमति आत्माहन गति जाइ ॥

(रा०च०मा० ७।४५)

इसी समय वहाँ एक रोलरको बचानेमें बस भीषण दुर्घटनाग्रस्त हो गयी - बस एक हजार फुट नीचे उलटती पलटती चली गयी। आधेसे अधिक यात्री तो बीचमें हीसमाप्त हो गये। जो कुछ थोड़े बचे, वे नीचे गंगाकी धारामें समा गये। एक ७ वर्षीया बालिका, जिसने महात्मा धीरेन्द्रके गलेको कसकर पकड़ लिया था, वह तथा महात्मा धीरेन्द्र गंगाकी धारामें गिरे तो सही, पर मालूम नहीं किस शक्तिने मोटरके एक टायरपर, जो वहाँ तैर रहा था, इन दोनों प्राणियोंको सुरक्षित रख लिया। महात्माको सामान्य चोट आयी थी, पर वह बच्ची तो बाल-बाल बची हुई थी। वहाँका भयंकर दृश्य देखकर वे महात्मा तो कुछ क्षणोंके लिये अचेत हो चुके थे, अपनी अर्धचेतनावस्थामें ही वे भगवन्नामस्मरण और भगवत्-प्रार्थना अन्तर्हृदयसे करने लगे। कुछ ही क्षणों बाद जब उनकी चेतना लौटी तो उन्होंने देखा कि वे तथा वह बालिका एक हजार फुट ऊपर जहाँसे बस दुर्घटना हुई थी, वहीं सुरक्षित रख दिये गये हैं। महात्मा यह देखकर अत्यन्त आश्चर्यचकित थे। कुछ समयपूर्व जो भयंकर गड्ढेमें जा चुके थे, उन्हें ऊपर लानेवाला कौन था? इसकी उन्होंने बहुत खोज की, पता लगाया, पर वह दृष्टिगत न हुआ।

महात्माने यह अनुभव किया- आरतपाल कृपाल जो रामु जेहीं सुमिरे तेहिको तहँ ठाढ़े।

[ संकलित]



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oopar laanevaala kaun thaa

jis samay manushy antaraatmaase prabhuko pukaarata hai, tab ve usakee pukaar avashy sunate hain. ve usakee raksha karaneko vivash ho jaate hain. jis samay hamaare chaaron or vipattike baadal mandaraane lagate hain, andhakaar chha jaata hai, path dikhaanevaala koee naheen rahata, to ham vyaakul hokar prabhuko yaad karate hain.

ghatana dinaank 26 maee, 1984 ee0 kee hai. kuchh yaatriyonne basadvaara badareenaathakee yaatraake liye prasthaan kiyaa. un yaatriyonke saath ek mahaatma svaamee dheerendrajee bhee ja rahe the. unhonne svabhaavatah bhajan satsang aur hanumaan chaaleesaake paath aadimen hee basamen apana samay bitaayaa. bas shreenagar, gadha़vaalase 17 ki0mee0 door kaliyaasaur jab pahunchee, tab mahaatmaajee yah doha bol rahe the

jo n tarai bhav saagar nar samaaj as paai

so krit nindak mandamati aatmaahan gati jaai ..

(raa0cha0maa0 7.45)

isee samay vahaan ek rolarako bachaanemen bas bheeshan durghatanaagrast ho gayee - bas ek hajaar phut neeche ulatatee palatatee chalee gayee. aadhese adhik yaatree to beechamen heesamaapt ho gaye. jo kuchh thoda़e bache, ve neeche gangaakee dhaaraamen sama gaye. ek 7 varsheeya baalika, jisane mahaatma dheerendrake galeko kasakar pakada़ liya tha, vah tatha mahaatma dheerendr gangaakee dhaaraamen gire to sahee, par maaloom naheen kis shaktine motarake ek taayarapar, jo vahaan tair raha tha, in donon praaniyonko surakshit rakh liyaa. mahaatmaako saamaany chot aayee thee, par vah bachchee to baala-baal bachee huee thee. vahaanka bhayankar drishy dekhakar ve mahaatma to kuchh kshanonke liye achet ho chuke the, apanee ardhachetanaavasthaamen hee ve bhagavannaamasmaran aur bhagavat-praarthana antarhridayase karane lage. kuchh hee kshanon baad jab unakee chetana lautee to unhonne dekha ki ve tatha vah baalika ek hajaar phut oopar jahaanse bas durghatana huee thee, vaheen surakshit rakh diye gaye hain. mahaatma yah dekhakar atyant aashcharyachakit the. kuchh samayapoorv jo bhayankar gaddhemen ja chuke the, unhen oopar laanevaala kaun thaa? isakee unhonne bahut khoj kee, pata lagaaya, par vah drishtigat n huaa.

mahaatmaane yah anubhav kiyaa- aaratapaal kripaal jo raamu jeheen sumire tehiko tahan thaadha़e.

[ sankalita]

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