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श्रीधारशी भगत की मार्मिक कथा
श्रीधारशी भगत की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीधारशी भगत (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीधारशी भगत]- भक्तमाल


काठियावाड़की पंचाल भूमि संतों और भक्तोंकी खानि समझी जाती है। उसी भूमिमें चोटीला गाँवमें श्रीधारशी भक्त अभी कुछ ही दिन हुए, परम धामको प्राप्त हो चुके हैं।

युवावस्थामें जब उनके ब्याहका निश्चय होने लगा, तब उन्होंने अपने पितासे कह दिया कि 'मुझे ब्याह नहीं करना है।' और उसके बाद सारा जीवन ब्रह्मचर्य पालन करते हुए प्रभुभक्ति और परमार्थमें बिताया। अब इस समय पंचालमें उनके जैसा कोई संत मिलना कठिन है। उन्होंने कवितामें भक्त चरित्र लिखे हैं। जब वे इन भक्तगाथाओंको स्वयं गाते थे, तब श्रोताओंकी आँखोंसे अश्रुकी धारा बह निकलती और उन्हें अपना भान नहीं रहता। भगतजी रामायणके प्रखर विद्वान थे। उनके यहाँ बराबर रामायण कथा होती और बहुत-से लोग सुननेकेलिये आते थे। वे सुख-दुःख, मानापमान आदि द्वन्द्वोंसे परे थे। भयङ्कर बीमारीके समय भी उनके चित्तकी शान्ति वैसी ही बनी रहती थी। उनके चेहरेपर या उनकी बोलीमें कभी दुःखका कोई चिह्न नहीं दीख पड़ा। उनके पास थोड़ी देरतक बैठनेपर भी जीवनमें शान्तिका अनुभव बहुतों को हुआ था। वे पवित्रता और सादगीकी मूर्ति थे। आजकलके जमाने में लोगोंके दुःख और क्लेशको देखकर उनको बहुत दुःख होता था और वे कहते थे-'हम धर्म, नीति, सदाचार और भगवान्‌को भूल गये; इसीसे नाना प्रकारके दुःखोंकी उत्पत्ति हुई है।' उनके विचारसे कलियुगमें तरनेके साधन दो हैं- हरि-भजन करना और भूखेको भोजन देना। उनको अच्छे-अच्छे साधु-संतोंका सत्सङ्ग करनेका शुभ अवसर मिला था। उनका जीवन प्रभुमय होनेके कारण दिव्य था, स्वभाव शान्त, निर्भय और संतोषी था।



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kaathiyaavaada़kee panchaal bhoomi santon aur bhaktonkee khaani samajhee jaatee hai. usee bhoomimen choteela gaanvamen shreedhaarashee bhakt abhee kuchh hee din hue, param dhaamako praapt ho chuke hain.

yuvaavasthaamen jab unake byaahaka nishchay hone laga, tab unhonne apane pitaase kah diya ki 'mujhe byaah naheen karana hai.' aur usake baad saara jeevan brahmachary paalan karate hue prabhubhakti aur paramaarthamen bitaayaa. ab is samay panchaalamen unake jaisa koee sant milana kathin hai. unhonne kavitaamen bhakt charitr likhe hain. jab ve in bhaktagaathaaonko svayan gaate the, tab shrotaaonkee aankhonse ashrukee dhaara bah nikalatee aur unhen apana bhaan naheen rahataa. bhagatajee raamaayanake prakhar vidvaan the. unake yahaan baraabar raamaayan katha hotee aur bahuta-se log sunanekeliye aate the. ve sukha-duhkh, maanaapamaan aadi dvandvonse pare the. bhayankar beemaareeke samay bhee unake chittakee shaanti vaisee hee banee rahatee thee. unake cheharepar ya unakee boleemen kabhee duhkhaka koee chihn naheen deekh pada़aa. unake paas thoda़ee deratak baithanepar bhee jeevanamen shaantika anubhav bahuton ko hua thaa. ve pavitrata aur saadageekee moorti the. aajakalake jamaane men logonke duhkh aur kleshako dekhakar unako bahut duhkh hota tha aur ve kahate the-'ham dharm, neeti, sadaachaar aur bhagavaan‌ko bhool gaye; iseese naana prakaarake duhkhonkee utpatti huee hai.' unake vichaarase kaliyugamen taraneke saadhan do hain- hari-bhajan karana aur bhookheko bhojan denaa. unako achchhe-achchhe saadhu-santonka satsang karaneka shubh avasar mila thaa. unaka jeevan prabhumay honeke kaaran divy tha, svabhaav shaant, nirbhay aur santoshee thaa.

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