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श्रीअभिनवगुप्ताचार्य की मार्मिक कथा
श्रीअभिनवगुप्ताचार्य की अधबुत कहानी - Full Story of श्रीअभिनवगुप्ताचार्य (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [श्रीअभिनवगुप्ताचार्य]- भक्तमाल


श्रीअभिनवगुप्ताचार्यका जन्म काश्मीरमें हुआ था। उन्होंने अपने गीताभाष्यमें अपने वंशका परिचय दिया है। वररुचि-जैसे विद्वान् और ज्ञानी कात्यायन उनके पूर्वज थे। उनके वंशमें स्थिरबुद्धि और अत्यन्त विद्वान् सौचुकने जन्म ग्रहण किया था। सौचुकके पुत्र महात्मा श्रीभूतिराज थे। भूतिराजकी प्रतिभासे समस्त लोक आलोकित हो उठा था। उन्हींके चरणारविन्दके मधुप अभिनवगुप्त थे। वे स्वयं भी बहुत बड़े विद्वान् और भगवद्भक्त थे। उन्होंने भगवान्‌का साक्षात्कार किया थाऔर इसी कारण गीताका अर्थ लिखनेमें समर्थ हुए थे । उन्होंने यह भी लिखा है कि ब्राह्मणोंके अनुरोधसे मैंने गीताभाष्य लिखा। गीताभाष्यके अन्तमें उन्होंने शिवके साथ अपनी अभिन्नता प्रकट की है। वे लिखते हैं-

अभिनवरूपा शक्तिस्तद्गुप्तो यो महेश्वरो देवः ।

तदुभयथात्मकरूपमभिनवगुप्तं शिवं वन्दे ॥

अभिनवगुप्ताचार्यके गीताभाष्यका नाम 'गीतार्थसंग्रह ' है। इसके अतिरिक्त उन्होंने शिवसूत्रकी व्याख्या भी लिखी थी; परंतु यह कहींसे प्रकाशित हुई या नहीं, मालूम नहीं।



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shreeabhinavaguptaachaaryaka janm kaashmeeramen hua thaa. unhonne apane geetaabhaashyamen apane vanshaka parichay diya hai. vararuchi-jaise vidvaan aur jnaanee kaatyaayan unake poorvaj the. unake vanshamen sthirabuddhi aur atyant vidvaan sauchukane janm grahan kiya thaa. sauchukake putr mahaatma shreebhootiraaj the. bhootiraajakee pratibhaase samast lok aalokit ho utha thaa. unheenke charanaaravindake madhup abhinavagupt the. ve svayan bhee bahut bada़e vidvaan aur bhagavadbhakt the. unhonne bhagavaan‌ka saakshaatkaar kiya thaaaur isee kaaran geetaaka arth likhanemen samarth hue the . unhonne yah bhee likha hai ki braahmanonke anurodhase mainne geetaabhaashy likhaa. geetaabhaashyake antamen unhonne shivake saath apanee abhinnata prakat kee hai. ve likhate hain-

abhinavaroopa shaktistadgupto yo maheshvaro devah .

tadubhayathaatmakaroopamabhinavaguptan shivan vande ..

abhinavaguptaachaaryake geetaabhaashyaka naam 'geetaarthasangrah ' hai. isake atirikt unhonne shivasootrakee vyaakhya bhee likhee thee; parantu yah kaheense prakaashit huee ya naheen, maaloom naheen.

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