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भक्तराज भीखजन की मार्मिक कथा
भक्तराज भीखजन की अधबुत कहानी - Full Story of भक्तराज भीखजन (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्तराज भीखजन]- भक्तमाल


जयपुर-राज्यान्तर्गत फतेहपुर नामक स्थानमें भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजीका एक मन्दिर है। उसके मुख्य द्वारपर निम्नलिखित दोहे हैं-

संख-चक्र सोभित गदा लिये कर कमल विसाल।

बाम रमा, वाहन गरुड, प्रगटे दीनदयाल ॥ 1 ॥

पँदरा सौ गुनतीसमें, फाड़ निकलंत ।

सहर अलोर पठान घर बहु दिन वास करत ॥ 2 ॥


गोरू भोजक बिप्र कुल सुनत गयो तेहि दौर ।

श्रीपति करुनासिन्धुको, ले आयो एहि ठौर ॥ 3 ॥

पँदरा सौ अट्ठासिया करी प्रभूने महर।

लक्ष्मीनाथ पधारिया फतनापुरिये सहर ॥ 4 ॥

साला सौ भये भीखजन आचारज कुल केर।

अपनो जन प्रभु जानके दरस दियो मुख फेर ॥ 5 ॥

इन दोहोंमें प्रथम चार दोहोंसे भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजीके
उस मन्दिरके और अन्तिम पाँचवें दोहेसे भक्तराज भीखजनके इतिहासपर प्रकाश पड़ता है। भक्तराज भीखजनका जन्म सं0 1600 के लगभग एक महाब्राह्मण कुलमें हुआ था। जब वे कुछ बड़े हुए, तब पूर्वजन्मके संस्कारवश उन्हें भगवत्प्राप्तिकी उत्कट अभिलाषा हो चली। वे नित्य ही भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजीके उक्त मन्दिरमें जाकर कातरभावसे प्रार्थना करने लगे। उनका यह नित्यका नियम बन गया कि जबतक वे भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजीकी मूर्तिका दर्शन नहीं कर लेते थे, तबतक भोजन नहीं करते थे। किंतु फतेहपुरके कुछ लोगोंको भगवान्‌के मन्दिरमें एक महाब्राह्मणका आना-जाना उचित नहीं जान पड़ा। उन लोगोंने एक दिन भीखजनजीको जबरदस्ती मन्दिरके भीतर जानेसे रोक दिया। भीखजनजी बेचारे क्या करते।कोई चारा न देखकर वे मन्दिरसे बाहर पिछली दीवालकी ओर बैठ गये और उन्होंने यह प्रण कर लिया कि 'जबतक भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजी यहींपर मुझको दर्शन न देंगे, तबतक मैं अन्न-जल ग्रहण नहीं करूँगा।' इस प्रकार भक्तवर भीखजनको निराहार रहकर भगवान्‌का ध्यान करते हुए तीन दिन बीत गये। तीसरे दिन भक्तका हठीला भाव देखकर भगवान् श्रीलक्ष्मीनाथजीसे नहीं रहा गया। वे मन्दिरकी पिछली दीवाल फाड़कर भक्त भीखजनके सामने आ गये। फिर तो भक्तराज भीखजनने भगवान्‌को एकटक निहारकर अपनी मन:कामना पूरी की और इस घटनाकी खबर बिजलीकी भाँति सारे फतेहपुरमें फैल गयी। लोग दौड़े और भक्तराज भीखजनके चरणों में लोट-लोटकर क्षमाप्रार्थना करने लगे।



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[Bhakt Charitra - Bhakt Katha/Kahani - Full Story] [bhaktaraaj bheekhajana]- Bhaktmaal


jayapura-raajyaantargat phatehapur naamak sthaanamen bhagavaan shreelakshmeenaathajeeka ek mandir hai. usake mukhy dvaarapar nimnalikhit dohe hain-

sankha-chakr sobhit gada liye kar kamal visaala.

baam rama, vaahan garud, pragate deenadayaal .. 1 ..

pandara sau gunateesamen, phaada़ nikalant .

sahar alor pathaan ghar bahu din vaas karat .. 2 ..


goroo bhojak bipr kul sunat gayo tehi daur .

shreepati karunaasindhuko, le aayo ehi thaur .. 3 ..

pandara sau atthaasiya karee prabhoone mahara.

lakshmeenaath padhaariya phatanaapuriye sahar .. 4 ..

saala sau bhaye bheekhajan aachaaraj kul kera.

apano jan prabhu jaanake daras diyo mukh pher .. 5 ..

in dohonmen pratham chaar dohonse bhagavaan shreelakshmeenaathajeeke
us mandirake aur antim paanchaven dohese bhaktaraaj bheekhajanake itihaasapar prakaash pada़ta hai. bhaktaraaj bheekhajanaka janm san0 1600 ke lagabhag ek mahaabraahman kulamen hua thaa. jab ve kuchh bada़e hue, tab poorvajanmake sanskaaravash unhen bhagavatpraaptikee utkat abhilaasha ho chalee. ve nity hee bhagavaan shreelakshmeenaathajeeke ukt mandiramen jaakar kaatarabhaavase praarthana karane lage. unaka yah nityaka niyam ban gaya ki jabatak ve bhagavaan shreelakshmeenaathajeekee moortika darshan naheen kar lete the, tabatak bhojan naheen karate the. kintu phatehapurake kuchh logonko bhagavaan‌ke mandiramen ek mahaabraahmanaka aanaa-jaana uchit naheen jaan pada़aa. un logonne ek din bheekhajanajeeko jabaradastee mandirake bheetar jaanese rok diyaa. bheekhajanajee bechaare kya karate.koee chaara n dekhakar ve mandirase baahar pichhalee deevaalakee or baith gaye aur unhonne yah pran kar liya ki 'jabatak bhagavaan shreelakshmeenaathajee yaheenpar mujhako darshan n denge, tabatak main anna-jal grahan naheen karoongaa.' is prakaar bhaktavar bheekhajanako niraahaar rahakar bhagavaan‌ka dhyaan karate hue teen din beet gaye. teesare din bhaktaka hatheela bhaav dekhakar bhagavaan shreelakshmeenaathajeese naheen raha gayaa. ve mandirakee pichhalee deevaal phaada़kar bhakt bheekhajanake saamane a gaye. phir to bhaktaraaj bheekhajanane bhagavaan‌ko ekatak nihaarakar apanee mana:kaamana pooree kee aur is ghatanaakee khabar bijaleekee bhaanti saare phatehapuramen phail gayee. log dauda़e aur bhaktaraaj bheekhajanake charanon men lota-lotakar kshamaapraarthana karane lage.

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