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भक्त हरिदास डाकोरवाला की मार्मिक कथा
भक्त हरिदास डाकोरवाला की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त हरिदास डाकोरवाला (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त हरिदास डाकोरवाला]- भक्तमाल


गुजरातके तीर्थस्थान डाकोरमें श्रीहरिदास नामके एक भक्त हो गये हैं। आप गृहस्थ थे, पर आपका जीवन बिलकुल प्रभुपरायण था।

एक बार आप भगवत्सम्बन्धी कुछ लेखनकार्यमें लगे थे इतनेमें समाचार मिला कि आपका जवान पुत्र मर गया। अपने इकलौते जवान पुत्रका देहान्त होनेपर भी आपके चेहरेपर जरा-सी शोककी छाया भी नहीं आयी। श्रीहरिदासजीने कहा—'चलो, आ रहा हूँ। प्रभुकी वस्तुको फिर प्रभुको ही आनन्दसे सौंप देना चाहिये और जरा भी दुःख या क्लेशके बिना पुत्रका श्मशान में दाह करके फिर अपने भजनमें लग गये। आपके सम्बन्धमें अधिक बातें नहीं मिलतीं। आपका एक भजन गुजरातमें घर-घर गाया जाता है। जान पड़ता है उसमें उन्होंने अपने जीवनके सारे ज्ञानका समावेश कर दिया है।

नाम-रसायनमें पथ्य

(1) असत्य न बोलो। (2) किसीकी निन्दा नकरो। (3) अपनी प्रशंसा न करो और न सुनो। (4) किसी प्रकारका भी व्यसन मत रखो। (5) अपने ही समान सबकी आत्माको जानकर किसीका दिल मत दुखाओ। (6) परधनको धूलके समान समझो और उसको न लो। (7) दम्भ, अभिमान और दुर्जनतासे हृदयको अपवित्र मत करो। (8) परस्त्रीको माताके समान समझकर कभी कुदृष्टि न डालो। (9) मैं प्रभुका हूँ और प्रभु मेरी सदा रक्षा करते हैं, यह विश्वास कभी न छोड़ो। (10) प्रभु जो करते हैं, हमारे हितके लिये ही करते हैं - यह निश्चय दृढ़ रखो। (11) अपनी शक्तिके अनुसार दूसरोंकी भलाई करो। (12) अपना स्वार्थ सिद्ध होता हो तो भी अधर्मका आचरण न करो। (13) मैंने इतना भजन कर लिया, अब इतना भजन कर रहा हूँ — इस तरहकी बात जहाँ-तहाँ कभी मत कहो । (14) मैं बड़ा भक्त हूँ, मुझको मान देना चाहिये, मेरी पूजा सबको करनी चाहिये- ऐसा अभिमान कभीन करो। (15) रामनामकी जो अतुलनीय महिमा है, वह व्यर्थकी प्रशंसामात्र है-ऐसा विचार स्वप्रमें भी न करो। (16) आजीवन कभी भी कपट, दगा, छल, प्रपञ्च और मायाका आचरण न करो। (17) मानव सेवा प्रभुकी सेवा है, इस भावको सदा जीवनमें सच्चा उतारो। (18) यह ऊँच है और यह नीच है - यह भेदभाव प्रभुकेमार्गमें कभी न हो। (19) किसी भी इष्ट- कामनाके लिये मनमें अशान्ति न आने दो। (20) किसी प्रकारकी भी मायाके वशीभूत न हो ।

उपर्युक्त पथ्यों (नियमों) का सदा पालन करते रहनेसे और रामनामका जप करते रहनेसे प्रभुको पानेमें जरा भी देर नहीं लगती।



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gujaraatake teerthasthaan daakoramen shreeharidaas naamake ek bhakt ho gaye hain. aap grihasth the, par aapaka jeevan bilakul prabhuparaayan thaa.

ek baar aap bhagavatsambandhee kuchh lekhanakaaryamen lage the itanemen samaachaar mila ki aapaka javaan putr mar gayaa. apane ikalaute javaan putraka dehaant honepar bhee aapake cheharepar jaraa-see shokakee chhaaya bhee naheen aayee. shreeharidaasajeene kahaa—'chalo, a raha hoon. prabhukee vastuko phir prabhuko hee aanandase saunp dena chaahiye aur jara bhee duhkh ya kleshake bina putraka shmashaan men daah karake phir apane bhajanamen lag gaye. aapake sambandhamen adhik baaten naheen milateen. aapaka ek bhajan gujaraatamen ghara-ghar gaaya jaata hai. jaan pada़ta hai usamen unhonne apane jeevanake saare jnaanaka samaavesh kar diya hai.

naama-rasaayanamen pathya

(1) asaty n bolo. (2) kiseekee ninda nakaro. (3) apanee prashansa n karo aur n suno. (4) kisee prakaaraka bhee vyasan mat rakho. (5) apane hee samaan sabakee aatmaako jaanakar kiseeka dil mat dukhaao. (6) paradhanako dhoolake samaan samajho aur usako n lo. (7) dambh, abhimaan aur durjanataase hridayako apavitr mat karo. (8) parastreeko maataake samaan samajhakar kabhee kudrishti n daalo. (9) main prabhuka hoon aur prabhu meree sada raksha karate hain, yah vishvaas kabhee n chhoda़o. (10) prabhu jo karate hain, hamaare hitake liye hee karate hain - yah nishchay dridha़ rakho. (11) apanee shaktike anusaar doosaronkee bhalaaee karo. (12) apana svaarth siddh hota ho to bhee adharmaka aacharan n karo. (13) mainne itana bhajan kar liya, ab itana bhajan kar raha hoon — is tarahakee baat jahaan-tahaan kabhee mat kaho . (14) main bada़a bhakt hoon, mujhako maan dena chaahiye, meree pooja sabako karanee chaahiye- aisa abhimaan kabheen karo. (15) raamanaamakee jo atulaneey mahima hai, vah vyarthakee prashansaamaatr hai-aisa vichaar svapramen bhee n karo. (16) aajeevan kabhee bhee kapat, daga, chhal, prapanch aur maayaaka aacharan n karo. (17) maanav seva prabhukee seva hai, is bhaavako sada jeevanamen sachcha utaaro. (18) yah oonch hai aur yah neech hai - yah bhedabhaav prabhukemaargamen kabhee n ho. (19) kisee bhee ishta- kaamanaake liye manamen ashaanti n aane do. (20) kisee prakaarakee bhee maayaake vasheebhoot n ho .

uparyukt pathyon (niyamon) ka sada paalan karate rahanese aur raamanaamaka jap karate rahanese prabhuko paanemen jara bhee der naheen lagatee.

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