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भक्त कवि केशव की मार्मिक कथा
भक्त कवि केशव की अधबुत कहानी - Full Story of भक्त कवि केशव (हिन्दी)

[भक्त चरित्र -भक्त कथा/कहानी - Full Story] [भक्त कवि केशव]- भक्तमाल


भक्त कवि केशवका जन्म मोरवीमें हुआ था। पिताका नाम हरिराम और माताका नाम झवेरबाई था। वे जीवनमें सदा ही परमार्थ-चिन्तन, हरिभजन और प्रभुका नाम-गुण-गान करनेमें लगे रहे। उनके काव्यसे इसका पूरा पता मिलता है। उन्होंने 'केशव-कृति' नामसे नीति, ज्ञान, वैराग्य और भक्तिरससे भरपूर एक ग्रन्थ लिखा है। उनका सारा जीवन बम्बईकी 'वेदधर्म-सभा' की सेवामें अर्पित था और वहाँसे अवकाश लेकर 'आर्यधर्मप्रकाश' मासिक पत्रमें सनातन धर्मकी उन्नति और आर्य संस्कृतिकी रक्षाके लिये सदा अच्छे-अच्छे लेख लिखा करते थे और उसका प्रभाव जनताके ऊपर बहुत अच्छा पड़ता था। उनका अन्तःकरण भक्तिस भरपूर था। भगवा वस्त्र पहने बिना ही उनका हृदय आन्तरिक वैराग्यसे रंगा हुआ था। वे सदा ही प्रभुभक्तिमें मस्त रहते थे। संसारको प्रत्येक वस्तुसे वासनाका त्यागकर कविका हृदय भगवान्के श्रीचरणोंमें विश्राम प्राप्त करता था। ईश्वर ही उनके सर्वस्व थे। यह बात उनकी प्रत्येक कवितासे झलकती है। |

देहान्तके दो-एक दिन पहले उन्होंने अपने समस्त आत्मीयजनोंको पास बुलाया और यह स्वरचित भजन सुनाया - (हिन्दी अनुवाद)

हम तो आज तुम्हारे भाई! दो दिनके मेहमान। सफल करो यह सहज समागम, सुखका यही निदान ॥ आये त्योंही चले जायेंगे, हम सब एक समान। फिर कोई दिन नहीं मिलेंगे करनेको सन्मान ॥ निभै सदा सम्बन्ध परस्पर रहे धर्ममें ध्यान। सद्गुण धारण करो-कराओ, दूर करो अभिमान ।। लेश नहीं मेरे अन्तरमें मान और अपमान। हो यदि कुछ कड़वास हमारी, तो प्रिय! कर लो पान ।। केशव हरिने अति करुणा की, भ्रमो न भूलो मान रहता तत्त्वज्ञान उसीको, हो न जरा अज्ञान ।।

यह भजन सुनाकर कविने सबको विदा किया और दो-ही-तीन दिनोंके अंदर उनके प्राणपखेरू उड़कर प्रभुके चरणोंमें जा बैठे। काठियावाड़ में केशव कविका यह भजन घर घर गाया जाता है। यह भजन महात्मा गाँधीजीको बहुत प्रिय था।

मारी नाड तमारे हाथे, हरि संभाळजो रे। मुजने पोतानो जाणीने प्रभु-पद पाळजी रे ॥ पथ्यापथ्य नथी समजातुं दुःख सदैव रहे उभरातुं । मने हशे शुं धातु, नाथ निहाळजो रे । अनादि आप बंद छो साचा, कोई उपाय विषे नहिं काचा। दिवस रह्या छे टाँचा, वेळा बाळजो रे ॥ विश्वेश्वर शुंहजी विसारो, बाजी हाथ छतां काँ हारो। महा मुंझारो मारो नटवर ! टाळजो रे ॥ 'केशव' हरि मारू शुं धाशे, घाण बळ्यो शुं गढ घेराशे । लाज तमारी जाशे, भूधर ! भाळजो रे ॥



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bhakt kavi keshavaka janm moraveemen hua thaa. pitaaka naam hariraam aur maataaka naam jhaverabaaee thaa. ve jeevanamen sada hee paramaartha-chintan, haribhajan aur prabhuka naama-guna-gaan karanemen lage rahe. unake kaavyase isaka poora pata milata hai. unhonne 'keshava-kriti' naamase neeti, jnaan, vairaagy aur bhaktirasase bharapoor ek granth likha hai. unaka saara jeevan bambaeekee 'vedadharma-sabhaa' kee sevaamen arpit tha aur vahaanse avakaash lekar 'aaryadharmaprakaasha' maasik patramen sanaatan dharmakee unnati aur aary sanskritikee rakshaake liye sada achchhe-achchhe lekh likha karate the aur usaka prabhaav janataake oopar bahut achchha pada़ta thaa. unaka antahkaran bhaktis bharapoor thaa. bhagava vastr pahane bina hee unaka hriday aantarik vairaagyase ranga hua thaa. ve sada hee prabhubhaktimen mast rahate the. sansaarako pratyek vastuse vaasanaaka tyaagakar kavika hriday bhagavaanke shreecharanonmen vishraam praapt karata thaa. eeshvar hee unake sarvasv the. yah baat unakee pratyek kavitaase jhalakatee hai. |

dehaantake do-ek din pahale unhonne apane samast aatmeeyajanonko paas bulaaya aur yah svarachit bhajan sunaaya - (hindee anuvaada)

ham to aaj tumhaare bhaaee! do dinake mehamaana. saphal karo yah sahaj samaagam, sukhaka yahee nidaan .. aaye tyonhee chale jaayenge, ham sab ek samaana. phir koee din naheen milenge karaneko sanmaan .. nibhai sada sambandh paraspar rahe dharmamen dhyaana. sadgun dhaaran karo-karaao, door karo abhimaan .. lesh naheen mere antaramen maan aur apamaana. ho yadi kuchh kada़vaas hamaaree, to priya! kar lo paan .. keshav harine ati karuna kee, bhramo n bhoolo maan rahata tattvajnaan useeko, ho n jara ajnaan ..

yah bhajan sunaakar kavine sabako vida kiya aur do-hee-teen dinonke andar unake praanapakheroo uda़kar prabhuke charanonmen ja baithe. kaathiyaavaada़ men keshav kavika yah bhajan ghar ghar gaaya jaata hai. yah bhajan mahaatma gaandheejeeko bahut priy thaa.

maaree naad tamaare haathe, hari sanbhaalajo re. mujane potaano jaaneene prabhu-pad paalajee re .. pathyaapathy nathee samajaatun duhkh sadaiv rahe ubharaatun . mane hashe shun dhaatu, naath nihaalajo re . anaadi aap band chho saacha, koee upaay vishe nahin kaachaa. divas rahya chhe taancha, vela baalajo re .. vishveshvar shunhajee visaaro, baajee haath chhataan kaan haaro. maha munjhaaro maaro natavar ! taalajo re .. 'keshava' hari maaroo shun dhaashe, ghaan balyo shun gadh gheraashe . laaj tamaaree jaashe, bhoodhar ! bhaalajo re ..

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