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पंचवटी के बीच सिया रावण ने चुराई रे...

पंचवटी के बीच सिया रावण ने चुराई रे...

फूलों से पूछे कलियों से पूछे,
राम लखन हिल्की भर के रोवे,
क्या खुशबू बीच संभाल सिया रावण ने चुराई ये...

गंगा से पूछे यमुना से पूछे,
राम लखन हिलकी भरके रोवे,
क्या लहरो बीच समाई सिया रावण ने चुराई ये...

चंदा से पूछा सूरत से पूछे,
राम लखन हिल्की भर के रोवे,
क्या तारों के बीच समाई सिया रावण ने चुराई रे...

गैया से पूछे बछड़ा से पूछे,
राम लखन हिल्की भर के रोवे,
क्या हिरनी बन के उड़ गई सिया रावण ने चुराई ये...

ऋषि मुनि सन्तों से पूछे,
राम लखन हिलकी भर के रोवे,
क्या धरती बीच समाई सिया रावण ने चुराई रे...

पंचवटी के बीच सिया रावण ने चुराई रे...



panchavati ke beech siya raavan ne churaai re...

panchavati ke beech siya raavan ne churaai re...

phoolon se poochhe kaliyon se poochhe,
ram lkhan hilki bhar ke rove,
kya khushaboo beech sanbhaal siya raavan ne churaai ye...

ganga se poochhe yamuna se poochhe,
ram lkhan hilaki bharake rove,
kya laharo beech samaai siya raavan ne churaai ye...

chanda se poochha soorat se poochhe,
ram lkhan hilki bhar ke rove,
kya taaron ke beech samaai siya raavan ne churaai re...

gaiya se poochhe bchhada se poochhe,
ram lkhan hilki bhar ke rove,
kya hirani ban ke ud gi siya raavan ne churaai ye...

rishi muni santon se poochhe,
ram lkhan hilaki bhar ke rove,
kya dharati beech samaai siya raavan ne churaai re...

panchavati ke beech siya raavan ne churaai re...



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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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