हेलो री मैं लख्यो आजु को खेल बखान कहां लौ करे मत मोरी।राधे के सीस पै मोर पखा मुरली लकुटी कटि में पट डोरी॥बेनी विराजत […]
Read moreCategory: Bhakti Poetry
भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी
धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी,खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी,वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम […]
Read moreमानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन,
मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन,जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन,पाहन हौं तो […]
Read moreउर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो
उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो।लहरें टकराती रहें जिससे, कमनीय कालिंदी का कूल बनालो।।कर कंज से थामते हो जिसको, उस वृक्ष […]
Read moreका रसखान भए सम्पती सुमार माह
का रसखान भए सम्पती सुमार माह ।काह तन योगी है लगाएँ अंग शार को ।।काह साधे पंचानल काह सोए बीच जल ।काह जीत लियो राज, […]
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