Category: Bhakti Poetry

हेलो री मैं लख्यो आजु को खेल बखान कहां लौ करे मत मोरी

हेलो री मैं लख्यो आजु को खेल बखान कहां लौ करे मत मोरी।राधे के सीस पै मोर पखा मुरली लकुटी कटि में पट डोरी॥बेनी विराजत […]

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भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी

धूरि भरे अति शोभित श्याम जू, तैसी बनी सिर सुन्दर चोटी,खेलत खात फिरैं अँगना, पग पैंजनिया कटि पीरी कछौटी,वा छवि को रसखान विलोकत, वारत काम […]

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मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन,

मानुस हौं तो वही रसखान, बसौं मिलि गोकुल गाँव के ग्वारन,जो पसु हौं तो कहा बस मेरो, चरौं नित नंद की धेनु मँझारन,पाहन हौं तो […]

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उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो

उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो।लहरें टकराती रहें जिससे, कमनीय कालिंदी का कूल बनालो।।कर कंज से थामते हो जिसको, उस वृक्ष […]

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