Author: braj

उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो

उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो।लहरें टकराती रहें जिससे, कमनीय कालिंदी का कूल बनालो।।कर कंज से थामते हो जिसको, उस वृक्ष […]

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