उर ऊपर नित रहूँ लटका, अपनी बनमाल का फूल बनालो।लहरें टकराती रहें जिससे, कमनीय कालिंदी का कूल बनालो।।कर कंज से थामते हो जिसको, उस वृक्ष […]
Read moreAuthor: braj
का रसखान भए सम्पती सुमार माह
का रसखान भए सम्पती सुमार माह ।काह तन योगी है लगाएँ अंग शार को ।।काह साधे पंचानल काह सोए बीच जल ।काह जीत लियो राज, […]
Read moreप्रभु प्रेम बिना नही…
प्रभु प्रेम बिना नहीं मिलते चाहे कर लो लाख उपाय
Read moreबात तो इतनी सी थी..
बात तो इतनी सी थी, कि तुम अच्छे लगते थे लेकिन अब इतनी बड़ गयी है…. ….की तेरे सिवा कुछ अच्छा नही लगता
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