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Govind ji Bhargav

Ladli Adhabhut Nazara Sh. Govind Bhargav Ji 29-6-2015

GZB Vasundhara on 20-2-2016 Bhajan Sandhya By Sh. Govind Bhargav Ji P-2

श्री राधा बल्लभलाल वृंदावन श्री गोविन्द भार्गव जी P-2 15-5-2016

भजन संध्या श्री गोविन्द भार्गव जी फगवाड़ा 6 5 2016 पार्ट 2

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Ladli Adhabhut Nazara Sh. Govind Bhargav Ji 29-6-2015
GZB Vasundhara on 20-2-2016 Bhajan Sandhya By Sh. Govind Bhargav Ji P-2
श्री राधा बल्लभलाल वृंदावन श्री गोविन्द भार्गव जी P-2 15-5-2016
भजन संध्या श्री गोविन्द भार्गव जी फगवाड़ा 6 5 2016 पार्ट 2

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मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
मेरी करुणामयी सरकार पता नहीं क्या दे
क्या दे दे भई, क्या दे दे
सत्यम शिवम सुन्दरम
सत्य ही शिव है, शिव ही सुन्दर है
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा

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कबसे खड़ी हूँ थारे द्वार पे,
म्हारा खाटू वाला श्याम,
सुन भोले तेरी ना मैं गोटु भंगियाँ...
सुन भोले तेरी ना मैं गोटु भंगियाँ...
मैंने ढूंढ लिया संसार मां तेरे जैसा
कोई नहीं मां कोई नहीं
एक दिन पार्वती कहने लगी भोले से,
सारी उम्र गई जंगल में,
सजा दो घर को कलियों से बृज में श्याम आए
बृज में श्याम आए हैं, मेरे घनश्याम आए