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Bhagavad Gita Chapter 12 by Swami Mukundananda in Hindi in April 2015 [video 8 To 14]

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [8/34] - Maya se Mukti

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [9/34] - Karm, Gyan aur Bhakti marg adhikari

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [10/34] - Sarv sulav Bhakti marg

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Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [12/34] - 6 prakaar ke log

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [13/34] - Aanand ki khoj

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [14/34] - Bhram ka kaaran

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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
रसिया को नार बनावो री रसिया को
रसिया को नार बनावो री रसिया को
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
तेरे बगैर सांवरिया जिया नही जाये
तुम आके बांह पकड लो तो कोई बात बने‌॥
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
अरे बदलो ले लूँगी दारी के,
होरी का तोहे बड़ा चाव...

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किस अदा से, खड़ी है वृषभानु नंदिनी
भानु नंदिनी, किरत नंदिनी
रघुवर झूल रहे अपनी उमंग में,
सिया जी के संग में ना
माथे तिलक चढ़े जय गणपत हरे हरे
१. पिता तुम्हारे भोले शंकर
बरसानें में कुटिया बनाऊं री सखी,
मैं भी जाऊं री सखी बनाऊं री सखी...
तेरा नाम बिलखे तेरी बांट निरखे,
चले आओ बालाजी चले आओ...