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यहाँ किस को कहे अपना,
सभी कहने को अपने है...

यहाँ किस को कहे अपना,
सभी कहने को अपने है...
जब परखा जरूरत पे,
लगा अपने बस सपने है,
यहाँ किस को कहे अपना...


जिनको है अपना समझसमझ कर,
सब कुछ अपना खोया,
इस जीवन में उनकी वजह से बस रोया ही रोया,
अपनों के भरोसे पे सिर्फ अरमा ही मचलने है,
जब परखा जरूरत पे...

अर्थ बिना कोई अर्थ नही है,
अर्थ अनर्थ कराता,
अर्थ की नियति है भाई से भाई को लड़वाता,
थोड़े से स्वार्थ में तो निज में बैर पनपता है,
जब परखा जरूरत पे...

श्याम ही नैया श्याम खिवैया,
श्याम ही पालनहारा,
जिसकी नैया श्याम भरोसे मिलता उसे किनारा,
संजू अजमाकर देख सिर्फ बाबा ही अपने है,
जब परखा जरूरत पे...

यहाँ किस को कहे अपना,
सभी कहने को अपने है...
जब परखा जरूरत पे,
लगा अपने बस सपने है,
यहाँ किस को कहे अपना...




yahaan kis ko kahe apana,
sbhi kahane ko apane hai...

yahaan kis ko kahe apana,
sbhi kahane ko apane hai...
jab parkha jaroorat pe,
laga apane bas sapane hai,
yahaan kis ko kahe apanaa...


jinako hai apana samjhasamjh kar,
sab kuchh apana khoya,
is jeevan me unaki vajah se bas roya hi roya,
apanon ke bharose pe sirph arama hi mchalane hai,
jab parkha jaroorat pe...

arth bina koi arth nahi hai,
arth anarth karaata,
arth ki niyati hai bhaai se bhaai ko ladavaata,
thode se svaarth me to nij me bair panapata hai,
jab parkha jaroorat pe...

shyaam hi naiya shyaam khivaiya,
shyaam hi paalanahaara,
jisaki naiya shyaam bharose milata use kinaara,
sanjoo ajamaakar dekh sirph baaba hi apane hai,
jab parkha jaroorat pe...

yahaan kis ko kahe apana,
sbhi kahane ko apane hai...
jab parkha jaroorat pe,
laga apane bas sapane hai,
yahaan kis ko kahe apanaa...




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