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मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,

मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
बसा लो वृन्दावन में ॥

सौप दिया अब जीवन तोहे,
रखो जिस विधि रखना मोहे,
तेरे दर पे पड़ी हूँ सब छोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
बसा लो वृन्दावन में ॥

चाकर बन कर सेवा करुँगी,
मधुकरि मांग कलेवा करुँगी,
तेरे दरश करुँगी उठ भोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
बसा लो वृन्दावन में ॥

अरज़ मेरी मंजूर ये करना,
वृन्दावन से दूर ना करना,
कहे मधुप हरी जी हाथ जोड़,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
बसा लो वृन्दावन में ॥

मन बस गयो नन्द किशोर,
अब जाना नहीं कही और,
बसा लो वृन्दावन में,
बसा लो वृन्दावन में ॥



man bas gayo nand kishor,
ab jaana nahi kahi aur,

man bas gayo nand kishor,
ab jaana nahi kahi aur,
basa lo vrindaavan me,
basa lo vrindaavan me ..

saup diya ab jeevan tohe,
rkho jis vidhi rkhana mohe,
tere dar pe pi hoon sab chho,
ab jaana nahi kahi aur,
basa lo vrindaavan me,
basa lo vrindaavan me ..

chaakar ban kar seva karungi,
mdhukari maang kaleva karungi,
tere darsh karungi uth bhor,
ab jaana nahi kahi aur,
basa lo vrindaavan me,
basa lo vrindaavan me ..

ar meri manjoor ye karana,
vrindaavan se door na karana,
kahe mdhup hari ji haath jo,
ab jaana nahi kahi aur,
basa lo vrindaavan me,
basa lo vrindaavan me ..

man bas gayo nand kishor,
ab jaana nahi kahi aur,
basa lo vrindaavan me,
basa lo vrindaavan me ..



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