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अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ

अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ


मैं दास तेरा तूँ जगदीश्वर,
में तुच्छ तृण हूँ तूँ सर्वेश्वर,
तुझे भेंट क्या दूं समझ मे न आये,
तुझे और क्या में समर्पन करूँ,
अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ

मेरे मन के मन के  मंदिर में तुझे मैंने पाया,
हर स्वांस मैं बस तू ही समाया,
अनुपम अनोखा दिया रूप तूने,
कैसे तेरा अभिनंदन करूँ,
अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ

प्रभु आपसे मुझको जो भी मिला है,
शिकवा शिकायत न कोई गिला है,
चढ़ा मैल पापों का ‘राजेंद्र’ पर जो,
तपाकर उसे कैसे कुंदन करूँ,
अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ

अर्पण तुझे मेरे जीवन के हर क्षण,
तुझे और क्या में समर्पण करूँ




arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon

arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon


maindaas tera toon jagadeeshvar,
me tuchchh taran hoon toon sarveshvar,
tujhe bhent kya doon samjh me n aaye,
tujhe aur kya me samarpan karoon,
arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon

mere man ke man ke  mandir me tujhe mainne paaya,
har svaans mainbas too hi samaaya,
anupam anokha diya roop toone,
kaise tera abhinandan karoon,
arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon

prbhu aapase mujhako jo bhi mila hai,
shikava shikaayat n koi gila hai,
chadaha mail paapon ka raajendr par jo,
tapaakar use kaise kundan karoon,
arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon

arpan tujhe mere jeevan ke har kshn,
tujhe aur kya me samarpan karoon




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