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ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना,
श्वेताम्बर दिगम्बर का कोई नाम ना मुझको देना,

ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना,
श्वेताम्बर दिगम्बर का कोई नाम ना मुझको देना,
श्रावक ही मेरी पहचान है, मैं जैन हूं यही सम्मान है,
ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना ॥

प्रभु महावीर की वाणी समझायी सब संतो ने,
संतो के उपदेश मगर बट गए पंथो में ।
संतो को दोष ना देना, पंथो को गलत ना समझना,
अनेकांत की दृष्टी से, उपदेशों को समझना ॥
श्रावक ही मेरी पहचान है, मैं जैन हूं यही सम्मान है,
ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना..

जैसे बाग में फुल हज़ारो, सब की खुशबू न्यारी,
धर्म के भी कई रूप बताती, अपनी ये फुलवारी ।
क्रियाये अलग अलग है, मंजिल है मोक्ष ठिकाना,
चाहे जो विधि अपनाओ, भावों को शुद्ध बनाना ॥
श्रावक ही मेरी पहचान है, मैं जैन हूं यही सम्मान है,
ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना..

आओ धर्म की ज्योत में हम भी अपना तेज मिलाएं,
सत्य अहिंसा की ताकत से नए इतिहास सजाएं ॥
व्यवहार में धर्म को लाना, तिलक का मान बढ़ाना,
पंथो को घर तक रखना, बाहर सब एक हो जाना ॥
श्रावक ही मेरी पहचान है, मैं जैन हूं यही सम्मान है,
ना ओसवाल मुझे कहना, ना पोरवाल मुझे कहना..

ये संत ही अपनी विरासत, आगम ही अपनी दौलत,
तीर्थ है जागीर अपनी, श्रीसंघ अपनी मिलकत ।
खजाना ये सजाना, रक्षा में आगे आना,
नाकोड़ा दरबार ये गाये, साधर्मिक फ़र्ज़ निभाना ॥
श्रावक ही मेरी पहचान है, मैं जैन हूं यही सम्मान है,



na oswal mujhe kehna na porwal mujhe kehna

na osavaal mujhe kahana, na poravaal mujhe kahana,
shvetaambar digambar ka koi naam na mujhako dena,
shraavak hi meri pahchaan hai, mainjain hoon yahi sammaan hai,
na osavaal mujhe kahana, na poravaal mujhe kahana ..

prbhu mahaaveer ki vaani samjhaayi sab santo ne,
santo ke upadesh magar bat ge pantho me .
santo ko dosh na dena, pantho ko galat na samjhana,
anekaant ki darashti se, upadeshon ko samjhana ..
shraavak hi meri pahchaan hai, mainjain hoon yahi sammaan hai,
na osavaal mujhe kahana, na poravaal mujhe kahanaa..

jaise baag me phul hazaaro, sab ki khushaboo nyaari,
dharm ke bhi ki roop bataati, apani ye phulavaari .
kriyaaye alag alag hai, manjil hai moksh thikaana,
chaahe jo vidhi apanaao, bhaavon ko shuddh banaana ..
shraavak hi meri pahchaan hai, mainjain hoon yahi sammaan hai,
na osavaal mujhe kahana, na poravaal mujhe kahanaa..

aao dharm ki jyot me ham bhi apana tej milaaen,
saty ahinsa ki taakat se ne itihaas sajaaen ..
vyavahaar me dharm ko laana, tilak ka maan badahaana,
pantho ko ghar tak rkhana, baahar sab ek ho jaana ..
shraavak hi meri pahchaan hai, mainjain hoon yahi sammaan hai,
na osavaal mujhe kahana, na poravaal mujhe kahanaa..

ye sant hi apani viraasat, aagam hi apani daulat,
teerth hai jaageer apani, shreesangh apani milakat .
khajaana ye sajaana, raksha me aage aana,
naakoda darabaar ye gaaye, saadharmik paharz nibhaana ..
shraavak hi meri pahchaan hai, mainjain hoon yahi sammaan hai,



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