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Shrimad Bhagwat Katha by Shri Chinmayanand Bapu - Vadodara, Gujarat

Contents of this list:

Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 02 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 03 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 04 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 05 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 06 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 07 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 08 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 09 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 10 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 11 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 12 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 13 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 14 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 15 by Shri Chinmayanand Bapu
Shrimad Bhagwat Katha - Vadodara 16 by Shri Chinmayanand Bapu

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सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
दिल की हर धड़कन से तेरा नाम निकलता है
तेरे दर्शन को मोहन तेरा दास तरसता है
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
प्रभु कर कृपा पावँरी दीन्हि
सादर भारत शीश धरी लीन्ही
करदो करदो बेडा पार, राधे अलबेली सरकार।
राधे अलबेली सरकार, राधे अलबेली सरकार॥
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
जय राधे राधे, राधे राधे
जय राधे राधे, राधे राधे
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
सुबह सवेरे  लेकर तेरा नाम प्रभु,
करते है हम शुरु आज का काम प्रभु,

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लभ दो जी लभ दो,
साडी मैया कित्थे लभ दो॥
कितना ही सुन्दर कितना प्यारा, श्याम का
खो गया मैं तो वहां, जाऊं कहां,
गणपती मूरत बस गई जेह मन पार उतर गयो सोय,
अपनी धुन में होय रहत फिर चाहे जो भी हो,
भरे खजाने दाता मेरे दे, सारे खैरा पाओ
दाता कभी ना खाली मोड़े, जय जयकार बुलाओ,
बैकुंठ से सज कर आया रे लाला का पलना,
लाला का पालना रे लाला का पालना,