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Shreemad Bhagwat Katha By Shri Jugalkishor Ji Maharaj in March,2015 at Vidhya Dham, Indore

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 1)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 2)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 3)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 4)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 5)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 6)

Shreemad Bhagwat Katha - Shri Jugalkishor Ji Maharaj - Vidhya Dham, Indore (Day 7)

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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9 Must Have Qualities Of A Good Vaishnav DevoteeWhy Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]15 Obstacles That Can Easily Derail Us From Our Path Of BhaktiThe Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCON



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ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
सांवरे से मिलने का, सत्संग ही बहाना है,
चलो सत्संग में चलें, हमें हरी गुण गाना
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
मेरी विनती यही है राधा रानी, कृपा
मुझे तेरा ही सहारा महारानी, चरणों से
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
मोहे आन मिलो श्याम, बहुत दिन बीत गए।
बहुत दिन बीत गए, बहुत युग बीत गए ॥
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
श्यामा प्यारी मेरे साथ हैं,
फिर डरने की क्या बात है
मुझे रास आ गया है,
तेरे दर पे सर झुकाना
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
गोवर्धन वासी सांवरे, गोवर्धन वासी
तुम बिन रह्यो न जाय, गोवर्धन वासी
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।

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तेरे प्यार दी खुशबू माँ मेरे दिल विच
दरबार दी खुशबू माँ मेरे दिल विच वस गयी
खाटू के राजा का, होगा ये धाम,
अर्जुंडा में, मेरे आएँगे श्याम
झोली तो भर लो भक्तों रंग और गुलाल से,
होली खेलेंगे अब तो गिरधर गोपाल से...
अंजनी पुत्र केसरी नंदन,
अंजनी पुत्र केसरी नंदन
क्यू खड़ी खड़ी क्यूँ हालै गौरा चाल
तू चाल कसूती चालै आज कसूती चालै,