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IILM Speech by Shri Morari Bapu

IILM Founders' Day Lecture by Shri Murari Bapu Ji, held on October 22, 2007

IILM Founders' Day Lecture by Shri Murari Bapu Ji, held on October 22, 2007

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एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
सब हो गए भव से पार, लेकर नाम तेरा
नाम तेरा हरि नाम तेरा, नाम तेरा हरि नाम
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
बृज के नंदलाला राधा के सांवरिया,
सभी दुःख दूर हुए, जब तेरा नाम लिया।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
ज़रा छलके ज़रा छलके वृदावन देखो
ज़रा हटके ज़रा हटके ज़माने से देखो
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
सब के संकट दूर करेगी, यह बरसाने वाली,
बजाओ राधा नाम की ताली ।
नी मैं दूध काहे नाल रिडका चाटी चो
लै गया नन्द किशोर लै गया,
हर साँस में हो सुमिरन तेरा,
यूँ बीत जाये जीवन मेरा
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
वृन्दावन धाम अपार, जपे जा राधे राधे,
राधे सब वेदन को सार, जपे जा राधे राधे।
मेरी बाँह पकड़ लो इक बार,सांवरिया
मैं तो जाऊँ तुझ पर कुर्बान, सांवरिया
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
हम प्रेम दीवानी हैं, वो प्रेम दीवाना।
ऐ उधो हमे ज्ञान की पोथी ना सुनाना॥

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जब हो गया सच्चा प्यार क्यों ना कृष्ण
जब मिलें तार से क्यों ना कृष्ण मिले,
तू शब्दो का दास रे जोगी, तेरा क्या
राम नहीं तू बन पाएगा, क्यों फिरता
जयपुर से लाई मैं तो,
चुनरी रंगवाई के,
चली धर सर मटकिया दही वाली,
दही वाली रे माखन वाली,
तेरे दर पे करू पुकार,
भोले विनती मेरी स्वीकार करो