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Bhagavad Gita Chapter 12 by Swami Mukundananda in Hindi in April 2015 [video 22 To 28]

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [22/34] - Bhagwan me mann lagane ka tarika

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [23/34] - Bhagya ka nirman

Bhagavad Gita in Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [24/34] - Manav jeevan mein purusharth

Bhagavad Gita - Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [25/34] Gyan, Dhyan aur Bhakti

Bhagavad Gita - Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [26/34] Bhakt ke gun

Bhagavad Gita - Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [27/34] Karm ka samarpan

Bhagavad Gita - Hindi Chapter 12 - Swami Mukundananda [28/34] Laav aur haani

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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Key Importance Of Bhav And Ras In Krishna Bhakti84 Beautiful Names Of Lord Shri Krishna (with Meaning) – Reading Them Fills The Heart With Love8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For God



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मीठी मीठी मेरे सांवरे की मुरली बाजे,
होकर श्याम की दीवानी राधा रानी नाचे
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
सज धज कर जिस दिन मौत की शहजादी आएगी,
ना सोना काम आएगा, ना चांदी आएगी।
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
मन चल वृंदावन धाम, रटेंगे राधे राधे
मिलेंगे कुंज बिहारी, ओढ़ के कांबल काली
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
अच्युतम केशवं राम नारायणं,
कृष्ण दमोधराम वासुदेवं हरिं,
रंगीलो राधावल्लभ लाल, जै जै जै श्री
विहरत संग लाडली बाल, जै जै जै श्री
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
नगरी हो अयोध्या सी,रघुकुल सा घराना हो
चरन हो राघव के,जहा मेरा ठिकाना हो
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
कोई कहे गोविंदा कोई गोपाला,
मैं तो कहूँ सांवरिया बांसुरी वाला ।
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए

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आओ हम यहोवाह के लिए,
ऊँचे स्वर से गए,
नैया मंझधार मेरी टूटी पतवार मेरी,
बन के तू मांझी आजा श्याम मेरे॥
खाटू की गलियों में मेरा डेरा बस जाए,
जब जब पलकें खोलूं तेरा चेहरा नज़र आये...
पिंडे उत्थे भस्म रमाई, गल सप्पां दी
हत्थ डमरुँ त्रिशूल उठाई, लेके आया बरात
मैं वृंदावन जाना माये मैंनु रोकी ना,
श्याम दा दर्शन पाना माये मैंनु रोकी