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Manushya ka Lakshya - Pravachan by Jagadguru Shree Kripaluji Maharaj

Manushya ka Lakshya [1/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj

Manushya ka Lakshya [2/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj

Manushya ka Lakshya [3/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj

Manushya ka Lakshya [4/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj

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Manushya ka Lakshya [1/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
Manushya ka Lakshya [2/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
Manushya ka Lakshya [3/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj
Manushya ka Lakshya [4/4] - Jagadguru Shri Kripaluji Maharaj

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मेरे जीवन की जुड़ गयी डोर, किशोरी तेरे
किशोरी तेरे चरणन में, महारानी तेरे
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
मेरी करुणामयी सरकार, मिला दो ठाकुर से
कृपा करो भानु दुलारी, श्री राधे बरसाने
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
जय शिव ओंकारा, ॐ जय शिव ओंकारा ।
ब्रह्मा, विष्णु, सदाशिव, अर्द्धांगी
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
श्री राधा हमारी गोरी गोरी, के नवल
यो तो कालो नहीं है मतवारो, जगत उज्य
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
श्याम बुलाये राधा नहीं आये,
आजा मेरी प्यारी राधे बागो में झूला
एक दिन वो भोले भंडारी बन कर के ब्रिज की
पारवती भी मना कर ना माने त्रिपुरारी,
किशोरी कुछ ऐसा इंतजाम हो जाए।
जुबा पे राधा राधा राधा नाम हो जाए॥
तेरे दर की भीख से है,
मेरा आज तक गुज़ारा
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
मेरा अवगुण भरा शरीर, कहो ना कैसे
कैसे तारोगे प्रभु जी मेरो, प्रभु जी
राधे मोरी बंसी कहा खो गयी,
कोई ना बताये और शाम हो गयी,
कहना कहना आन पड़ी मैं तेरे द्वार ।
मुझे चाकर समझ निहार ॥
किसी को भांग का नशा है मुझे तेरा नशा है,
भोले ओ शंकर भोले मनवा कभी न डोले,
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।

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मैया मैया मैया,
मैया मैया ओ मेरी मैया,
मैया तेरी महिमा है निराल
रात्रि स्पेशल भजन
बंसी ओ बंसी इतना बता तूने कौन सा पुण्य
खुश होकर कान्हा ने तुझको होठों पर थाम
माथे तिलक चढ़े जय गणपत हरे हरे
१. पिता तुम्हारे भोले शंकर
प्रभु तेरा द्वार ना छूटे रे,
छूट जाए संसार,