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Shri Pundrik Ji Maharaj

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ rurki katha day -1,part 3.mp4

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day -3,part 1.mp4

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day -1, Part 4.mp4

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day -3,part 2.mp4

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H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day 4 Part-1.mpg

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day 5 Part-1.mpg

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H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day 4 Part-7.mpg

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day 4 Part-9.mpg

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ Rurki Katha Day 5 Part-1.mpg

KIRTAN BY H.H SRI PUNDRIK GISWAMI JI MAHARAJ

H.H SRI PUNDRIK GOSWAMI JI MAHARAJ rurki katha day -1,part 2

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इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
हम हाथ उठाकर कह देंगे हम हो गये राधा
राधा राधा राधा राधा
हर पल तेरे साथ मैं रहता हूँ,
डरने की क्या बात? जब मैं बैठा हूँ
शिव समा रहे मुझमें
और मैं शून्य हो रहा हूँ
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
वृदावन जाने को जी चाहता है,
राधे राधे गाने को जी चाहता है,
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
जग में सुन्दर है दो नाम, चाहे कृष्ण कहो
बोलो राम राम राम, बोलो श्याम श्याम
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
बृज के नन्द लाला राधा के सांवरिया
सभी दुख: दूर हुए जब तेरा नाम लिया
जिंदगी एक किराये का घर है,
एक न एक दिन बदलना पड़ेगा॥
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,

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नाम तेरे दी मस्ती दे विच एह्दा खो गई आ,
नच नच के तेरे दर ते श्यामा कमली होगी आ...
भक्त एक शिव का चला शिव को रिझाने के लिए,
शिव को रिझाने के लिए, शिव को मनाने के
किस्मत का मारा हु सँवारे,
प्यार की थोड़ी सी झलक दिखा मेरे श्याम...
तेरे चरणों में मैं रूल जावां, बृज रज़
इतनीं सी है दिल की आरजू,
बाज्या बाज्या ढोल नगाङा कुंवर तेजा रे,
नौपत तो बाजी थारै नाम की,