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Shreemad Bhagwad Katha By Pundrik Goswamiji Maharaj in December 2014 at Andheri, Mumbai

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 2 Andheri (Mumbai)

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 3 Andheri (Mumbai)

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 4 Andheri (Mumbai)

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 5 Andheri (Mumbai)

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 6 Andheri (Mumbai)

Shreemad Bhagwad Katha - Pundrik Goswamiji Maharaj - Day 7 Andheri (Mumbai)

Contents of this list:

A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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The Four Main Vaishnav Sampradayas & ISKCONWhat Is Navdha Bhakti? And Why Is It So Important For Us?Why Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]14 Tips To Overcome Tough Times Through Devotional Love For God



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हम राम जी के, राम जी हमारे हैं
वो तो दशरथ राज दुलारे हैं
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
तीनो लोकन से न्यारी राधा रानी हमारी।
राधा रानी हमारी, राधा रानी हमारी॥
ਮੇਰੇ ਕਰਮਾਂ ਵੱਲ ਨਾ ਵੇਖਿਓ ਜੀ,
ਕਰਮਾਂ ਤੋਂ ਸ਼ਾਰਮਾਈ ਹੋਈ ਆਂ
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
कैसे जीऊं मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही न लगे श्यामा तेरे बिना
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
मेरी रसना से राधा राधा नाम निकले,
हर घडी हर पल, हर घडी हर पल।
Ye Saare Khel Tumhare Hai Jag
Kahta Khel Naseebo Ka
रंग डालो ना बीच बाजार
श्याम मैं तो मर जाऊंगी
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
हरी नाम नहीं तो जीना क्या
अमृत है हरी नाम जगत में,
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
मेरा यार यशुदा कुंवर हो चूका है
वो दिल हो चूका है जिगर हो चूका है
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
वृंदावन में हुकुम चले बरसाने वाली का,
कान्हा भी दीवाना है श्री श्यामा
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
आज बृज में होली रे रसिया।
होरी रे रसिया, बरजोरी रे रसिया॥
राधिका गोरी से ब्रिज की छोरी से ,
मैया करादे मेरो ब्याह,
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
तेरी मुरली की धुन सुनने मैं बरसाने से
मैं बरसाने से आयी हूँ, मैं वृषभानु की
जिनको जिनको सेठ बनाया वो क्या
उनसे तो प्यार है हमसे तकरार है ।
मुझे रास आ गया है, तेरे दर पे सर झुकाना
तुझे मिल गया पुजारी, मुझे मिल गया
राधा ढूंढ रही किसी ने मेरा श्याम देखा
श्याम देखा घनश्याम देखा

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प्रेमियों मंगल गाओ प्रेमियों,
होकर लीले असवार,
बम भोले जयकारा तू लगा कावड़ियाँ,
गंगा जल तू भोले पे चढ़ा कावड़ियाँ,
सानू दुनिया ने दिता ठुकरा राधे साहनु
आज दर तेरे बैठे असी आ श्री राधे साहनु
लिखने वाले तू दिल का हाल लिख दे,
मेरी चुनरी पर मदन गोपाल लिख दे,
असीं अपना हाल सुनाउँन लई,
माँ तेरे दर ते आए हां,