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International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur

International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 1 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji

International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 2 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji

International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 3 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji

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International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 1 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji
International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 2 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji
International Rotary Club Seminar in Birla Auditorium Jaipur Part 3 Pravachan By H H Sri Pundrik Ji

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कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
यशोमती मैया से बोले नंदलाला,
राधा क्यूँ गोरी, मैं क्यूँ काला
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
तुम रूठे रहो मोहन,
हम तुमको मन लेंगे
श्यामा तेरे चरणों की गर धूल जो मिल
सच कहता हूँ मेरी तकदीर बदल जाए॥
अपनी वाणी में अमृत घोल
अपनी वाणी में अमृत घोल
मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
साँवरिया ऐसी तान सुना,
ऐसी तान सुना मेरे मोहन, मैं नाचू तू गा ।
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
मीठे रस से भरी रे, राधा रानी लागे,
मने कारो कारो जमुनाजी रो पानी लागे
फूलों में सज रहे हैं, श्री वृन्दावन
और संग में सज रही है वृषभानु की
नटवर नागर नंदा, भजो रे मन गोविंदा
शयाम सुंदर मुख चंदा, भजो रे मन गोविंदा
प्रभु मेरे अवगुण चित ना धरो
समदर्शी प्रभु नाम तिहारो, चाहो तो पार
अपने दिल का दरवाजा हम खोल के सोते है
सपने में आ जाना मईया,ये बोल के सोते है
मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री कैसो चटक
श्याम मेरी चुनरी में पड़ गयो दाग री
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
ज़िंदगी मे हज़ारो का मेला जुड़ा
हंस जब जब उड़ा तब अकेला उड़ा
कान्हा की दीवानी बन जाउंगी,
दीवानी बन जाउंगी मस्तानी बन जाउंगी,
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
फाग खेलन बरसाने आये हैं, नटवर नंद
तू कितनी अच्ची है, तू कितनी भोली है,
ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ, ओ माँ ।
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
ये सारे खेल तुम्हारे है
जग कहता खेल नसीबों का
लाली की सुनके मैं आयी
कीरत मैया दे दे बधाई
बांके बिहारी की देख छटा,
मेरो मन है गयो लटा पटा।

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जब जब भी मैं हारा,
तूने लिया है मुझको थाम,
जबसे हुई है तेरी मेहरबानी,
तुमने बदल दी ये दुनिया बदली
मैनु अपने दर पे बुला लो हारा वालिया,
अपने चरनी लाले मेहरा वालिया,
करलो माँ की जय जयकार...
रंग बरसे माँ के द्वार, करलो माँ की जय
लड्डू गोपाल मेरा लड्डू गोपाल,
छोटा सा है लल्ला मेरा करतब करे कमाल,