Geeta Pravachan By Shri Pundrik Goswamiji Maharaj in March 2014 at Delhi
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A Beautiful Bhagwad Gita Reader
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Why Should One Do Bhakti? 80 Facts About Bhakti [Must Read]How To Cultivate Gratitude For God And Feel Blessed In Life?8 Yardsticks To Evaluate If My Bhakti Is Increasing?11 Tips For Enhancing Devotional Service For Busy People
श्याम हमारे दिल से पूछो, कितना तुमको
याद में तेरी मुरली वाले, जीवन यूँ ही
तेरा पल पल बिता जाए रे
मुख से जप ले नमः शवाए
तेरे दर पे आके ज़िन्दगी मेरी
यह तो तेरी नज़र का कमाल है,
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
बाँस की बाँसुरिया पे घणो इतरावे,
कोई सोना की जो होती, हीरा मोत्यां की जो
राधे तु कितनी प्यारी है ॥
तेरे संग में बांके बिहारी कृष्ण
सारी दुनियां है दीवानी, राधा रानी आप
कौन है, जिस पर नहीं है, मेहरबानी आप की
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
राधे राधे बोल, श्याम भागे चले आयंगे।
एक बार आ गए तो कबू नहीं जायेंगे ॥
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
शिव कैलाशों के वासी, धौलीधारों के राजा
शंकर संकट हारना, शंकर संकट हारना
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे दवार,
यहाँ से जो मैं हारा तो कहा जाऊंगा मैं
श्याम बंसी ना बुल्लां उत्ते रख अड़ेया
तेरी बंसी पवाडे पाए लख अड़ेया ।
प्रीतम बोलो कब आओगे॥
बालम बोलो कब आओगे॥
लाडली अद्बुत नज़ारा तेरे बरसाने में
लाडली अब मन हमारा तेरे बरसाने में है।
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
कैसे जिऊ मैं राधा रानी तेरे बिना
मेरा मन ही ना लागे तुम्हारे बिना
राधे तेरे चरणों की अगर धूल जो मिल जाए
सच कहता हू मेरी तकदीर बदल जाए
हो मेरी लाडो का नाम श्री राधा
श्री राधा श्री राधा, श्री राधा श्री
सांवरिया है सेठ ,मेरी राधा जी सेठानी
यह तो सारी दुनिया जाने है
कोई पकड़ के मेरा हाथ रे,
मोहे वृन्दावन पहुंच देओ ।
सांवली सूरत पे मोहन, दिल दीवाना हो गया
दिल दीवाना हो गया, दिल दीवाना हो गया ॥
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
ये तो बतादो बरसानेवाली,मैं कैसे
तेरी कृपा से है यह जीवन है मेरा,कैसे
ऐसी होली तोहे खिलाऊँ
दूध छटी को याद दिलाऊँ
कारे से लाल बनाए गयी रे,
गोरी बरसाने वारी
यह मेरी अर्जी है,
मैं वैसी बन जाऊं जो तेरी मर्ज़ी है
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
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क्यू करते चिंता इतनी, चिंता ख़तम ना
मन का पंछी उड़ेगा जिस दिन, चिंता होगी
भात भरने चले सांवरिया लेकर गठरी,
लेकर गठरी हो रामा लेकर गठरी,
चलो श्याम धणी के धाम जी मेलो लाग्यो है,
चालो जी मेलो लाग्यो है हालो हालो जी
तेरी आरती गाऊं मैं सजाकर थाली,
विनती तू सुन ले जग दे वाली,
जहाँ जिनकी जटाओं में गंगा की,
बहती अविरल धारा,