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Bhagwat Katha - Swami Avdheshanand Giriji Maharaj

Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day1 Part 1

Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day 1 Part 2

Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day 2 Part 1

Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day 2 Part 2

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Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day1 Part 1
Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day 1 Part 2
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Shrimad Bhagwat Katha by Swami Avdheshanand Giriji Maharaj in Orissa Day 2 Part 2

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मेरा अवगुण भरा रे शरीर,
हरी जी कैसे तारोगे, प्रभु जी कैसे
राधा नाम की लगाई फुलवारी, के पत्ता
के पत्ता पत्ता श्याम बोलता, के पत्ता
दुनिया का बन कर देख लिया, श्यामा का बन
राधा नाम में कितनी शक्ति है, इस राह पर
एक कोर कृपा की करदो स्वामिनी श्री
दासी की झोली भर दो लाडली श्री राधे॥
तू राधे राधे गा ,
तोहे मिल जाएं सांवरियामिल जाएं
मैं मिलन की प्यासी धारा
तुम रस के सागर रसिया हो
जा जा वे ऊधो तुरेया जा
दुखियाँ नू सता के की लैणा
ना मैं मीरा ना मैं राधा,
फिर भी श्याम को पाना है ।
तेरा गम रहे सलामत मेरे दिल को क्या कमी
यही मेरी ज़िंदगी है, यही मेरी बंदगी है
मेरे बांके बिहारी बड़े प्यारे लगते
कही नज़र न लगे इनको हमारी
वृन्दावन के बांके बिहारी,
हमसे पर्दा करो ना मुरारी ।
बोल कान्हा बोल गलत काम कैसे हो गया,
बिना शादी के तू राधे श्याम कैसे हो गया
तमन्ना यही है के उड के बरसाने आयुं मैं
आके बरसाने में तेरे दिल की हसरतो को
दाता एक राम, भिखारी सारी दुनिया ।
राम एक देवता, पुजारी सारी दुनिया ॥
हे राम, हे राम, हे राम, हे राम
जग में साचे तेरो नाम । हे राम...
आप आए नहीं और सुबह हो मई
मेरी पूजा की थाली धरी रह गई
वास देदो किशोरी जी बरसाना,
छोडो छोडो जी छोडो जी तरसाना ।
हम प्रेम नगर के बंजारिन है
जप ताप और साधन क्या जाने
मुझे चाहिए बस सहारा तुम्हारा,
के नैनों में गोविन्द नज़ारा तुम्हार
इतना तो करना स्वामी जब प्राण तन से
गोविन्द नाम लेकर, फिर प्राण तन से
ज़री की पगड़ी बाँधे, सुंदर आँखों वाला,
कितना सुंदर लागे बिहारी कितना लागे
मुँह फेर जिधर देखु मुझे तू ही नज़र आये
हम छोड़के दर तेरा अब और किधर जाये
दिल लूटके ले गया नी सहेलियो मेरा
मैं तक्दी रह गयी नी सहेलियो लगदा बड़ा
जगत में किसने सुख पाया
जो आया सो पछताया, जगत में किसने सुख
सब दुख दूर हुए जब तेरा नाम लिया
कौन मिटाए उसे जिसको राखे पिया
इक तारा वाजदा जी हर दम गोविन्द गोविन्द
जग ताने देंदा ए, तै मैनु कोई फरक नहीं
सावरे से मिलने का सत्संग ही बहाना है ।
सारे दुःख दूर हुए, दिल बना दीवाना है ।
कोई कहे गोविंदा, कोई गोपाला।
मैं तो कहुँ सांवरिया बाँसुरिया वाला॥
दुनिया से मैं हारा तो आया तेरे द्वार,
यहाँ से गर जो हरा कहाँ जाऊँगा सरकार
मुझे चढ़ गया राधा रंग रंग, मुझे चढ़ गया
श्री राधा नाम का रंग रंग, श्री राधा नाम

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सांवरिया से नैन मिलाके भेद जिगर के
जय बाबा की बोल जोगिया जय बाबा की बोल...
रघुकुल नंदन मुक्ति बन्धन,
सत सत नमन करूँ अभिनंदन,
हारा वाले दा द्वारा बड़ा प्यारा लगदा,
प्यारा लगदा, द्वारा बड़ा प्यारा लगदा,
मेरा तनक पकड़ ले हाथ हो हाथ,
सिडीन पै चढ़ाए ले बनवारी...
कुंझ मंगणा नई साइयाँ तेरे बाजों, मैं
जग सामने वे वाली सारे जग दा ते फिर