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श्रीहनुमत् कवचके पाठसे कृपानुभूति

बात सन् २०१४ ई० की है। मैं राज्य निर्वाचन आयोग उ०प्र० के अधीन वरिष्ठ सहायकके पदपर जिला सुलतानपुर में तैनात था। छात्रजीवनसे ही मैं श्रीहनुमान्जी महाराजका उपासक हूँ। उनकी कृपासे अनेक बार मैं कालको पराजित कर सका, यहाँ एक अनुभव आप सभी भगवद्भक्तोंके समक्ष रख रहा हूँ। वर्ष २०१४ के २७ अक्टूबरको मुझे दस्त होने लगे। दवाएँ काम नहीं कर रही थीं। दिन-प्रतिदिन मेरी हालत बिगड़ रही थी और दिनांक ३० अक्टूबर २०१४ को मेरे हाथ-पैर उठना बन्द हो गये । परिवारके लोगोंने मुझे लखनऊ लाकर एक क्लीनिकमें भरती कर दिया। अनेक उपचार होनेके बाद भी लाभ नहीं मिल सका और ३१ अक्टूबर २०१४ को सायं लगभग ४ बजे डॉक्टरोंने मेरा इलाज बन्द कर दिया और कहा अब ये कुछ ही क्षणोंमें समाप्त हो रहे हैं। धीरे-धीरे मुझे दीखना बन्द हो रहा था, सुनायी भी नहीं पड़ रहा था और मैं बेसुध होने लगा। उस समय मेरे मनमें एकमुखी-पंचमुखी हनुमत्कवचका पाठ चल रहा था। इसी अवस्थामें शनैः-शनै: कुछ समय बाद बाहरी जगत्से मैं प्रस्थान कर गया, परंतु मेरे अन्तःकरणमें मेरे गुरुदेवका उपदेश वाक्य गूँज रहा था कि अन्त समयमें राम नाम ही सहारा है, सो अपना अन्तसमझकर राम-रामका जप होने लगा। उस समय हुआ दिव्य लोकका दर्शन और देवदूतों और यमदूतोंकी बात आजतक मुझे याद है, जिसे सुनकर मैं डर रहा था, उसी समय दिव्यरूपमें श्रीहनुमान्जी महाराजने कनकभूधराकार रूपमें प्रकट होकर हुंकार भरी और कहा-'अरे! इसे क्यों लाये, अभी तो इसे संसारमें रामगुणगान करना है।' उसी क्षण मेरे ऊपर यमदूतोंने जो काले रंगका बन्धन रखा था, हटा दिया और ५.३० बजे मैंने अस्पतालमें मुँहसे श्रीरामनाम लिया। आवाज सुनकर मेरी पुत्री डॉ० अंजलिने दौड़कर हटाये गये उपचार संयन्त्रको पुनः चालू कर दिया और मैं ठीक होने लगा। दिनांक ७ नवम्बर २०१४को मैं स्वस्थ होकर वापस घर आया और निर्णय लिया कि अब शेष जीवन केवल रामकथा और हनुमान्जीकी उपासनाको समर्पित होगा। दिनांक ३० नवम्बर २०१४ को मैंने स्वैच्छिक सेवानिवृत्त होकर केवल भगवत्-भजन, श्रीरामकथा तथा श्रीहनुमत्कवचको ही अपना जीवन बना लिया।

यह सब सुनने - कहने में अतिशयोक्ति भी लग सकती है, परंतु हनुमत्-कृपासे असम्भव भी सम्भव हो जाता है। अब मैंने हनुमानजीसे नया रिश्ता बनाया है वे मेरे बड़े भाई हैं।

[ श्रीनवनीतजी पाण्डेय ]



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shreehanumat kavachake paathase kripaanubhooti

baat san 2014 ee0 kee hai. main raajy nirvaachan aayog u0pra0 ke adheen varishth sahaayakake padapar jila sulataanapur men tainaat thaa. chhaatrajeevanase hee main shreehanumaanjee mahaaraajaka upaasak hoon. unakee kripaase anek baar main kaalako paraajit kar saka, yahaan ek anubhav aap sabhee bhagavadbhaktonke samaksh rakh raha hoon. varsh 2014 ke 27 aktoobarako mujhe dast hone lage. davaaen kaam naheen kar rahee theen. dina-pratidin meree haalat bigada़ rahee thee aur dinaank 30 aktoobar 2014 ko mere haatha-pair uthana band ho gaye . parivaarake logonne mujhe lakhanaoo laakar ek kleenikamen bharatee kar diyaa. anek upachaar honeke baad bhee laabh naheen mil saka aur 31 aktoobar 2014 ko saayan lagabhag 4 baje daॉktaronne mera ilaaj band kar diya aur kaha ab ye kuchh hee kshanonmen samaapt ho rahe hain. dheere-dheere mujhe deekhana band ho raha tha, sunaayee bhee naheen pada़ raha tha aur main besudh hone lagaa. us samay mere manamen ekamukhee-panchamukhee hanumatkavachaka paath chal raha thaa. isee avasthaamen shanaih-shanai: kuchh samay baad baaharee jagatse main prasthaan kar gaya, parantu mere antahkaranamen mere gurudevaka upadesh vaaky goonj raha tha ki ant samayamen raam naam hee sahaara hai, so apana antasamajhakar raama-raamaka jap hone lagaa. us samay hua divy lokaka darshan aur devadooton aur yamadootonkee baat aajatak mujhe yaad hai, jise sunakar main dar raha tha, usee samay divyaroopamen shreehanumaanjee mahaaraajane kanakabhoodharaakaar roopamen prakat hokar hunkaar bharee aur kahaa-'are! ise kyon laaye, abhee to ise sansaaramen raamagunagaan karana hai.' usee kshan mere oopar yamadootonne jo kaale rangaka bandhan rakha tha, hata diya aur 5.30 baje mainne aspataalamen munhase shreeraamanaam liyaa. aavaaj sunakar meree putree daॉ0 anjaline dauda़kar hataaye gaye upachaar sanyantrako punah chaaloo kar diya aur main theek hone lagaa. dinaank 7 navambar 2014ko main svasth hokar vaapas ghar aaya aur nirnay liya ki ab shesh jeevan keval raamakatha aur hanumaanjeekee upaasanaako samarpit hogaa. dinaank 30 navambar 2014 ko mainne svaichchhik sevaanivritt hokar keval bhagavat-bhajan, shreeraamakatha tatha shreehanumatkavachako hee apana jeevan bana liyaa.

yah sab sunane - kahane men atishayokti bhee lag sakatee hai, parantu hanumat-kripaase asambhav bhee sambhav ho jaata hai. ab mainne hanumaanajeese naya rishta banaaya hai ve mere baड़e bhaaee hain.

[ shreenavaneetajee paandey ]

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तेरी मंद मंद मुस्कनिया पे ,बलिहार
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