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श्रीदुर्गासप्तशतीके मन्त्र - जपद्वारा ज्वरसे रक्षा

यह घटना तबकी है, सम्भवतः जब मैं कक्षा ८ या ९ का विद्यार्थी था उन दिनों मुझे एक बार काफी तेज बुखार हुआ। उस समय गाँवमें ही इलाज होता था। किसी भी प्रकारकी कोई सुविधाएँ उपलब्ध नहीं थीं। दस-पाँच गाँवोंके बाद कोई एकाध सामान्य डॉक्टर रहा करते थे। ग्रामीण परिवेश होनेके कारण दवाएँ उपलब्ध नहीं थीं। अमृतधारा आदि कुछ दवाइयाँ दी गयीं, किंतु ज्वर ज्यों का-त्यों रहा। उस समय मुझे कुछ श्लोक याद थे। एक श्लोक मुझे दुर्गासप्तशतीका याद आया, जिसका मैं बारबार मनन करने लगा। श्लोक है

रोगानशेषानपहंसि. तुष्टा

रुष्टा तु कामान् सकलानभीष्टान् ।

त्वामाश्रितानां न विपन्नराणां

त्वामाश्रिता ह्याश्रयतां प्रयान्ति।।

बस जब भी ज्वर तीव्र होता, मैं इस श्लोकका जप करने लगता था। जब-जब मैं इस मन्त्रका जप करता, मुझे बुखारसे राहत मिल जाती। चिकित्सककी सुविधा थी नहीं, अतः बस एक ही सहारा था माँकामन्त्रजप । वह बुखार लगभग दो दिन रहा, जब ज्वर तेज़ हो तो लेटे-लेटे श्लोक मन-ही-मन दुहराऊँ, ज्वर शान्त हो जाय। जप बन्द करनेपर पुनः आ जाय। इस तरह तीसरे दिन ज्वर सर्वथा शान्त हो गया। मैं पूर्णतया स्वस्थ हो गया।

आज मैं जब अपने अतीतकी ओर दृष्टि डालताहूँ तो पूरे जीवनमें यही परिलक्षित होता है किहरिकृपा हि केवलम्। आज जो कुछ भी मान-सम्मान, पद-प्रतिष्ठा है, उसमें एकमात्र श्रीमन्नारायण भगवान्की कृपा ही है। भले ही मैं चाहे जितनी अपनी डींग हाँकता रहूँ, पर अब अन्तःकरणमें यह बात सर्वथा दृढ़ हो गयी है कि जीवनमें भगवान्के अतिरिक्त दूसरा कोई सहायक नहीं है। अतः अब प्रत्येक घटनामें अदृश्य ईश्वरका ही हाथ प्रत्यक्ष देखता हूँ। [ प्रो० श्रीगिरिजाशंकरजी शास्त्री ]



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shreedurgaasaptashateeke mantr - japadvaara jvarase rakshaa

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rogaanasheshaanapahansi. tushtaa

rushta tu kaamaan sakalaanabheeshtaan .

tvaamaashritaanaan n vipannaraanaan

tvaamaashrita hyaashrayataan prayaanti..

bas jab bhee jvar teevr hota, main is shlokaka jap karane lagata thaa. jaba-jab main is mantraka jap karata, mujhe bukhaarase raahat mil jaatee. chikitsakakee suvidha thee naheen, atah bas ek hee sahaara tha maankaamantrajap . vah bukhaar lagabhag do din raha, jab jvar teja़ ho to lete-lete shlok mana-hee-man duharaaoon, jvar shaant ho jaaya. jap band karanepar punah a jaaya. is tarah teesare din jvar sarvatha shaant ho gayaa. main poornataya svasth ho gayaa.

aaj main jab apane ateetakee or drishti daalataahoon to poore jeevanamen yahee parilakshit hota hai kiharikripa hi kevalam. aaj jo kuchh bhee maana-sammaan, pada-pratishtha hai, usamen ekamaatr shreemannaaraayan bhagavaankee kripa hee hai. bhale hee main chaahe jitanee apanee deeng haankata rahoon, par ab antahkaranamen yah baat sarvatha dridha़ ho gayee hai ki jeevanamen bhagavaanke atirikt doosara koee sahaayak naheen hai. atah ab pratyek ghatanaamen adrishy eeshvaraka hee haath pratyaksh dekhata hoon. [ pro0 shreegirijaashankarajee shaastree ]

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